दिल्ली–NCR में खतरनाक प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने आखिर क्या कहा

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What did the Supreme Court say about the dangerous pollution in Delhi-NCR?

दिल्ली–NCR में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ी टिप्पणी की और केंद्र सरकार को सख्त सलाह दी। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की जगह अब CJI बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट कहा कि यह समस्या केवल अस्थायी फैसलों से हल नहीं होगी, बल्कि इसके लिए व्यापक, दीर्घकालिक और समन्वित रणनीति तैयार करनी होगी।

CJI गवई ने आखिर क्या कहा ?

सुनवाई के दौरान CJI गवई ने कहा कि केंद्र सरकार सभी हितधारकों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और NCR के अन्य राज्यों को एक साथ बुलाए और समस्या का स्थायी समाधान निकाले। उन्होंने चेताया कि केवल एक पक्ष को देखकर आदेश जारी नहीं किए जा सकते, क्योंकि निर्माण गतिविधियां बंद करने का सबसे बड़ा असर मजदूरों, खासकर यूपी–बिहार के श्रमिकों पर पड़ता है।

CJI ने कहा “अल्पकालिक कार्रवाई से समस्या हल नहीं होगी। हमें व्यापक, दीर्घकालिक समाधान चाहिए। जमीन पर ऐसे निर्देशों से कई लोग प्रभावित होते हैं।”

याचिकाकर्ता ने आखि़र क्या कहा?

याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने तर्क दिया कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर आपातकाल जैसी स्थिति पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा

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  1. निर्माण छह महीने पहले ही बंद हो जाना चाहिए था।
  2. GRAP लागू करने की सीमा बहुत ऊंची है, जबकि WHO कहता है कि AQI 50 भी खतरनाक है।
    3.दिल्ली में 450 AQI के बाद ही GRAP लागू होता है। यह अपरिवर्तनीय नुकसान है।
    4.PM 2.5 बच्चों के फेफड़ों में जाता है तो कभी नहीं निकलता।
    जब CJI ने पूछा कि क्या वे चाहते हैं कि सब कुछ बंद कर दिया जाए, तो उन्होंने जवाब दिया“हां मायलॉर्ड्स, लोग फेफड़ों की बीमारियों से मर रहे हैं।”

पराली जलाने की सैटेलाइट निगरानी पर भी उठे सवाल

शंकरनारायणन ने बताया कि पराली जलाने पर सैटेलाइट मॉनिटरिंग मौजूद है, लेकिन किसान ऐसे समय में पराली जलाते हैं जब उपग्रहों की निगरानी कम होती है। इसी कारण पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार को निगरानी और सख्ती दोनों बढ़ानी होंगी।

सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते प्रदूषण की बताई जड़ें
पीठ ने कहा कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की जड़ें कई राज्यों और कई कारणों से जुड़ी हैं

1.पराली जलाना
2.निर्माण धूल
3.उद्योगों का प्रदूषण
4.वाहनों का धुआं

इसलिए समाधान भी बहु-राज्यीय सहयोग से ही आएगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह सभी संबंधित राज्यों के साथ बैठक करे और दीर्घकालिक नीति तैयार करे।

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