जब हम छीन लेंगे पृथ्वी का श्रृंगार तो फिर कैसे आएगी जीवन में खुशियों की बहार
पर्यावरण संरक्षण और वातावरण के प्रति आमजन को जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य कारण पर्यावरण संरक्षण में सबसे महत्वपूर्ण पृथ्वी के शोषण से ज्यादा उसके बचाव पर ध्यान केंद्रित करना और जितना हो सके टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल जिंदगी जीना है। जिससे पृथ्वी भी हमारी तरह खुश और खिलखिलाती हरी-भरी रह सके। लोग पृथ्वी के महत्ता को समझ सकें। आइए आज वर्ल्ड अर्थ डे (विश्व पृथ्वी दिवस) पर जानते हैं उससे जुड़ा इतिहास, इस वर्ष की थीम, उसका महत्व और जीवन पर इसका प्रभाव।
विश्व पृथ्वी दिवस पर विशेष : डॉ. केशव पाण्डेय
— मत करो धरती पर तुम अत्याचार, क्योंकि यही तो है हमारी सॉंसों का आधार……22 अप्रैल यानी विश्व पृथ्वी दिवस। आज पूरी दुनिया में यह दिन मनाया जा रहा है। इस दिवस को अंतरराष्ट्रीय मातृ पृथ्वी दिवस भी कहा जाता है। इसके इतिहास के बारे में बात करें तो पाते हैं कि अमेरिका के संकल्पात्मक विकास के लिए एक पारिस्थितिक प्रतीक का निर्माण किया था। सितम्बर 1969 में सिएटल, वॉशिंगटन में एक सम्मलेन में विस्कोंसिन के अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने घोषणा कर कहा था कि 1970 के बसंत में पर्यावरण पर राष्ट्रव्यापी जन साधारण प्रदर्शन किया जायेगा। जेराल्ड ने इसकी स्थापना पर्यावरण शिक्षा के रूप में की थी। 7 नवंबर 1969 को लॉस एंजिल्स फ्री प्रेस में इसे प्रकाशित किया गया और यही सार्वजनिक डोमेन बना। जिसे व्यापक जनसमर्थन मिला और करीब 20 लाख अमेरिकी लोगों ने एक स्वस्थ, स्थायी पर्यावरण के लक्ष्य के साथ भाग लिया। 22 अप्रैल के आते ही, पूरी दुनिया के 5000 समूह एकजुट हो गए और 184 देशों के लाखों लोगों ने इसमें हिस्सा लिया।

जिसे बाद में पृथ्वी दिवस के रूप में अपनाया गया। यह ई और ओ अक्षरों के संयोजन से बनाया गया था, जिन्हें क्रमशः इनवायरनमेंट और ऑर्गेनाइज्म शब्दों से लिया गया था। हजारों कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने पर्यावरण के दूषण के विरुद्ध प्रदर्शनों का आयोजन किया। वे समूह जो तेल रिसाव, प्रदुषण करने वाली फैक्ट्रियों और उर्जा संयंत्रों, कच्चे मलजल, विषैले कचरे, कीटनाशक, खुले रास्तों, जंगल की क्षति और वन्यजीवों के विलोपन के विरुद्ध लड़ रहे थे। इन सभी ने महसूस किया कि वे समान मूल्यों का समर्थन कर रहें हैं। 20 लाख लोगों का 141 देशों में आगमन और विश्व स्तर पर पर्यावरण के विषयों को उठा कर, पृथ्वी दिवस ने 1990 में 22 अप्रैल को पूरी दुनिया में पुनः चक्रीकरण के प्रयासों को उत्साहित किया और रियो डी जेनेरियो में 1992 के संयुक्त राष्ट्र पृथ्वी सम्मलेन के लिए मार्ग बनाया। जानेमाने फिल्म और टेलीविज़न अभिनेता एड्डी अलबर्ट ने पृथ्वी दिवस के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जिन्होंने पूरे जीवन काल में प्राथमिक और महत्वपूर्ण कार्य के दौरान प्रबल समर्थन दिया था। यही वजह है कि उन्हीं के जन्मदिन 22 अपै्रल के अवसर पर 1970 से प्रति वर्ष विश्व पृथ्वी दिवस मनाए जाने लगा। अब इसे 192 से अधिक देशों में मनाया जाता है। इस बार यह 53वां वर्ष है। अलबर्ट को टीवी शो ग्रीन एकर्स में प्राथमिक भूमिका के लिए भी जाना जाता था, जिसने तत्कालीन सांस्कृतिक और पर्यावरण चेतना पर बहुमूल्य प्रभाव डाला।
अब बात करते हैं मौजूदा परिवेश की… तो आज के हालात छिपाए नहीं छिपते, छलनी होती धरती की कोख और दिन व दिन उजड़ता श्रृंगार इसकी गवाही दे ही देते हैं। लगातार बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण धरती के लिए रुदन का कारण बन रहा है। पर्यावरण की सुरक्षा आप सिर्फ पौधे लगाने भर से ही नहीं कर सकते। पूरी दुनिया अब ग्लोबल वार्मिंग पर ध्यान केन्द्रित कर रही है और स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहन देने की बात हो रही है। क्योंकि आज दुनियाभर के देश पृथ्वी के संरक्षण को लेकर चिंतित है और इसको लेकर अनेक कार्य किए जा रहे हैं। इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखकर प्रतिवर्ष एक थीम रखी जाती है इस बार प्दअमेज प्द व्नत च्संदमज यानी हमारे ग्रह में निवेश करें थीम रखी गई है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पावन धरा यानी धरती अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है और इसे अपनी भावी पीढ़ी को को देना है। इसकी अच्छी देखभाल करने का श्रेय आपके कंधों पर है। ऐसे में जरूरी हो जाता कि हम प्रकृति के संरक्षण के लिए मिलकर प्रयास करें क्योंकि धरा को बचाने के लिए सामूहिकता जरूरी है। इसके लिए कुछ संकल्प लेने होंगे। ताकि हम पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकें। क्योंकि जब पृथ्वी होगी, तभी शांत और स्वस्थ जीवन होगा।यदि हम यह संकल्प लेते हैं तो तय मानिए कि थीम की सार्थकता सिद्ध तो होगी ही लेकिन इसके साथ ही हम अपने बच्चों को भी प्रकृति प्रेम के प्रति सजग कर सकेंगे।
हमें पौधरोपण पर विशेष ध्यान देना होगा, कारण हरियाली प्रकृति का श्रृंगार है और पेड़-पौधे उसके गहने हैं। पृथ्वी आज इतना रो रही है कि उसके पास खुशियों जमीन से अधिक आंसुओं के दरिये हैं। इसलिए जरूरी हो जाता है कि हम सब मिलकर धरा को बचाने के लिए प्रकृति की गोद में छाई हरियाली को पोषित और पल्लवित करें। और प्रकृति प्रेम को जिंदगी का अभिन्न अंग मानें क्योंकि प्रकृति प्रेम से ही जीवन होगा सुखद।
और अंत में…..
यह धरती मॉं के समान है, इसका हर दम सम्मान करें।
धरती ही जीवन का आधार है, इसकी सुरक्षा के बिना सब बेकार है।