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वक्फ संशोधन अधिनियम 2025: सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और संवैधानिकता पर उठे सवाल

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संसद में पारित हुआ वक्फ संशोधन विधेयक 2025

तमाम विरोधों के बावजूद केंद्र सरकार ने संसद के बजट सत्र में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पारित कर दिया। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले चुका है।


सुप्रीम कोर्ट में वक्फ अधिनियम की संवैधानिकता पर सुनवाई शुरू

नई दिल्ली से बड़ी खबर सामने आई है कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू कर दी है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार, और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने दो महत्वपूर्ण बिंदुओं पर पक्षों से विचार करने को कहा:

  1. क्या इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट को करनी चाहिए या इसे हाईकोर्ट में भेजा जाना चाहिए

  2. वकील किस बिंदु पर बहस करना चाहते हैं


कपिल सिब्बल ने रखी अहम दलीलें

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलों में कहा कि यह संसदीय कानून धार्मिक आस्था के अभिन्न अंग में हस्तक्षेप करता है।

  • किसी व्यक्ति को वक्फ स्थापित करने के लिए यह साबित करना होगा कि वह पिछले 5 वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा है।

  • सिब्बल ने सवाल उठाया कि राज्य यह कैसे तय करेगा कि कोई व्यक्ति मुसलमान है या नहीं? इसका निर्धारण तो व्यक्ति के पर्सनल लॉ के अंतर्गत आता है।

  • उन्होंने यह भी कहा कि कलेक्टर को यह अधिकार देना कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं, संवैधानिक रूप से अनुचित है


हिंदू सदस्य भी वक्फ बोर्ड में शामिल

सिब्बल ने यह भी मुद्दा उठाया कि पहले केवल मुस्लिम सदस्य ही वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड का हिस्सा होते थे, लेकिन संशोधन के बाद अब हिंदू सदस्य भी इसका हिस्सा बन सकते हैं। उन्होंने इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया।


जामा मस्जिद समेत पुराने स्मारक रहेंगे संरक्षित

सुनवाई के दौरान जामा मस्जिद का जिक्र भी आया। इस पर CJI ने स्पष्ट किया कि:

  • जामा मस्जिद समेत सभी पुराने स्मारक संरक्षित रहेंगे।

  • उन्होंने कहा, “कानून इस मामले में आपके पक्ष में है।”


वक्फ संपत्ति के पंजीकरण पर बहस

कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया कि यदि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति दान करना चाहता है, जैसे कि अनाथालय बनाने के लिए, तो वह ऐसा क्यों नहीं कर सकता बिना पंजीकरण के?

CJI ने जवाब दिया कि वक्फ का पंजीकरण करना आपकी मदद करेगा।
जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि, “जो अल्लाह का है, वह वक्फ है।”
वक्फ डीड का प्रावधान झूठे दावों से बचाव के लिए किया गया है।

इस पर सिब्बल ने कहा कि वक्फ अक्सर सैकड़ों साल पहले बनाए गए होते हैं। अब यदि 300 साल पुरानी संपत्ति के लिए वक्फ डीड मांगी जाएगी, तो यह व्यवहारिक रूप से असंभव है।


वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ याचिकाएं

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं।

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