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भगवद गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को की ‘मेमोरी ऑफ वर्ल्ड’ सूची में मिली जगह

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भारत की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर नई पहचान

विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर भारत के लिए गर्व की खबर सामने आई है। यूनेस्को (UNESCO) ने भारत के दो महान ग्रंथों — श्रीमद्भगवद गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल किया है। यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।


प्रधानमंत्री मोदी ने बताया गर्व का क्षण

इस उपलब्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:

“भगवद गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को की सूची में शामिल किया जाना हमारी कालातीत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है।”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि हिंदू धर्मग्रंथों ने सदियों से सभ्यता और चेतना को पोषित करने का कार्य किया है और आज उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलना एक शुभ संकेत है।

यूनेस्को (UNESCO) ने भारत के दो महान ग्रंथों श्रीमद्भगवद गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल किया है।यूनेस्को का यह प्रोग्राम वर्ष 1992 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य है दुनिया की महत्वपूर्ण दस्तावेजी विरासत को संरक्षण प्रदान करना और उसे हमेशा के लिए उपलब्ध रखना। इस पहल के अंतर्गत ऐतिहासिक पुस्तकों, ग्रंथों, पांडुलिपियों, अभिलेखों, और सांस्कृतिक दस्तावेजों को वैश्विक स्तर पर मान्यता दी जाती है।

इस प्रोग्राम की योजना और निगरानी एक अंतरराष्ट्रीय सलाहकार समिति (IAC) द्वारा की जाती है। इसमें 14 विशेषज्ञ सदस्य होते हैं, जिन्हें यूनेस्को के महानिदेशक द्वारा नियुक्त किया जाता है। यूनेस्को की वेबसाइट के अनुसार:

“दुनिया की दस्तावेजी विरासत सभी की है। इसे पूरी तरह से संरक्षित और सभी के लिए सुरक्षित रखा जाना चाहिए।”


 भगवद गीता: भारतीय ज्ञान का सार्वकालिक स्रोत

भगवद गीता, 18 अध्यायों और 700 श्लोकों का यह ग्रंथ महाभारत का भाग है, जिसमें कर्तव्य, ज्ञान, भक्ति और योग के मूल तत्व समाहित हैं। यह ग्रंथ वैदिक, बौद्ध, जैन और चार्वाक दर्शनों का समन्वय करता है।
यह न केवल धार्मिक बल्कि दार्शनिक, सामाजिक और जीवन मूल्य आधारित दृष्टिकोण को दर्शाता है। इसे कई भाषाओं में अनूदित किया जा चुका है और यह विश्वभर में पढ़ा जाता है।

▶ नाट्यशास्त्र: भारतीय कला और सौंदर्य का विश्वकोश

भरत मुनि का नाट्यशास्त्र, प्रदर्शन कलाओं पर आधारित एक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ है, जिसमें नाट्य, अभिनय, रस, भाव, संगीत, नृत्य और सौंदर्यशास्त्र के नियम वर्णित हैं। यह भारतीय रंगमंच और काव्यशास्त्र का आधार माना जाता है और आज भी नाट्य और कला शिक्षण संस्थानों में इसका अध्ययन किया जाता है।


सांस्कृतिक धरोहर के लिए ऐतिहासिक कदम

इन दोनों ग्रंथों को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड में शामिल किया जाना केवल एक संस्कारिक पहचान नहीं है, बल्कि यह भारत की बौद्धिक परंपरा और सांस्कृतिक संपदा की वैश्विक स्वीकृति भी है। यह निर्णय यूनेस्को द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा को एक तरह की अंतरराष्ट्रीय मुहर है।

भारत की विचारधारा को मिला वैश्विक सम्मान

विश्व धरोहर दिवस 2025 पर यह घोषणा भारतीय संस्कृति प्रेमियों और विद्वानों के लिए अत्यंत गौरवपूर्ण है।
अब जब भगवद गीता और नाट्यशास्त्र जैसे अद्वितीय ग्रंथों को संरक्षण और वैश्विक पहुँच प्राप्त हो चुकी है, तो यह हमारी नयी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनकर सामने आएगा

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