अमेरिकी बाजार में दवाओं का 30% एक्सपोर्ट करने वाला भारत सबसे ज्यादा प्रभावित होगा, जेनेरिक दवाओं पर अभी राहत
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बड़ा आर्थिक फैसला लेते हुए ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। यह नियम 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा। हालांकि, जिन कंपनियों ने अमेरिका में दवा बनाने के लिए अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाया है या निर्माण कार्य शुरू कर दिया है, उन पर यह टैरिफ लागू नहीं होगा।
इस फैसले से सबसे बड़ा असर भारत पर पड़ सकता है, क्योंकि भारत अमेरिका को कुल दवा निर्यात का लगभग 30% करता है।
भारत पहले से ही अमेरिकी टैरिफ के दबाव में
ट्रम्प प्रशासन ने भारत से आने वाले कई प्रोडक्ट्स—कपड़े, जेम्स-ज्वेलरी, फर्नीचर और सी-फूड पर पहले ही 50% टैरिफ लगाया है, जो 27 अगस्त से लागू है।
हालांकि, दवाओं को इससे बाहर रखा गया था, लेकिन अब ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर नया टैक्स भारत की फार्मा इंडस्ट्री के लिए चिंता का कारण बन गया है।
जेनेरिक दवाओं पर फिलहाल छूट, लेकिन खतरा बरकरार
जियोजित इनवेस्टमेंट्स लिमिटेड के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वी. के. विजयकुमार का कहना है—
“भारत जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है, इसलिए फिलहाल इस फैसले का ज्यादा असर नहीं होगा। लेकिन ट्रम्प भविष्य में जेनेरिक दवाओं पर भी टैरिफ या बैन लगा सकते हैं।”
तथ्य:
- भारत ने 2024 में अमेरिका को 8.73 अरब डॉलर (करीब 77 हजार करोड़ रुपए) की दवाएं भेजीं।
- यह भारत के कुल दवा निर्यात का 31% था।
- अमेरिका में लिखी जाने वाली हर 10 में से 4 प्रिस्क्रिप्शन दवाएं भारतीय कंपनियों की होती हैं।
- 2013 से 2022 के बीच अमेरिका ने जेनेरिक दवाओं से 1.3 ट्रिलियन डॉलर की बचत की।
ब्रांडेड बनाम जेनेरिक दवाएं: क्या है अंतर?
ब्रांडेड दवाएं
- नई खोज और रिसर्च पर आधारित होती हैं।
- कंपनी को लगभग 20 साल का पेटेंट अधिकार मिलता है।
- दूसरी कंपनियां इस दौरान उसका फार्मूला कॉपी नहीं कर सकतीं।
- कीमत रिसर्च और डेवलपमेंट के खर्च की वजह से काफी अधिक होती है।
जेनेरिक दवाएं
- ब्रांडेड दवा का पेटेंट खत्म होने के बाद बनाई जाती हैं।
- समान फॉर्मूले से तैयार होती हैं लेकिन कोई नया पेटेंट नहीं होता।
- रिसर्च लागत नहीं होने से ये 80-90% तक सस्ती होती हैं।
- अमेरिकी हेल्थकेयर सिस्टम इन्हीं पर सबसे ज्यादा निर्भर है।
ट्रम्प का उद्देश्य क्या है?
1. ‘मेक इन अमेरिका’ नीति को बढ़ावा देना
- अमेरिका चाहता है कि दवाएं वहीं पर बनें ताकि रोजगार और मैन्युफैक्चरिंग दोनों मजबूत हों।
2. राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा
- महामारी के दौरान सप्लाई चेन टूटने से अमेरिका को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
- ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि दवाओं के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना खतरनाक है।
3. सप्लाई चेन पर नियंत्रण
- ब्रांडेड दवाओं पर टैरिफ लगाकर ट्रम्प अमेरिकी फार्मा सप्लाई चेन को सुरक्षित बनाना चाहते हैं।
अन्य प्रोडक्ट्स पर भी टैरिफ
- किचन कैबिनेट और बाथरूम वैनिटी: 1 अक्टूबर से 50% टैरिफ।
- अपहोल्स्टर्ड फर्नीचर (गद्देदार/फोम वाला फर्नीचर): 30% टैक्स।
- हेवी ट्रक (बड़े ट्रक): दुनिया के बाकी हिस्सों से आने वाले सभी वाहनों पर 25% टैरिफ।
ट्रम्प ने कहा— “विदेशी कंपनियां अमेरिकी बाजार को सस्ते सामान से भर रही हैं। यह हमारी मैन्युफैक्चरिंग और सुरक्षा दोनों के लिए खतरनाक है। हमें इसे रोकना ही होगा।”