न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या लाखों में है, लेकिन जब किसी 29 साल पुराने मामले में सिर्फ 17 दिन की जेल को सजा मानते हुए केस समाप्त कर दिया जाए, तो यह फैसला ध्यान खींचता है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ऐसे ही एक पुराने आपराधिक मामले में आरोपी को बड़ी राहत दी है।
यह मामला वर्ष 1996 का है। 16 और 17 जून की दरमियानी रात को शिव सिंह ट्रक लेकर जा रहा था, तभी भिंड जिले के लहार थाना क्षेत्र में उसकी ट्रक से दुर्घटना हो गई। इस हादसे में एक व्यक्ति जसराम की मौत हो गई, जबकि सुल्तान सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस ने शिव सिंह के खिलाफ लापरवाही से मौत का मामला दर्ज किया।
इस केस में ट्रायल कोर्ट ने 11 दिसंबर 2006 को शिव सिंह को 1 वर्ष की सजा सुनाई। शिव सिंह ने फैसले को सेशन कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 23 जनवरी 2007 को अपील खारिज हो गई। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा, जहां निर्णय आने में करीब 18 साल लग गए।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद 23 जनवरी 2007 से 9 फरवरी 2007 तक जेल में बिताई गई 17 दिन की अवधि को पर्याप्त सजा मानते हुए केस को समाप्त कर दिया। अदालत ने यह भी ध्यान में रखा कि शिव सिंह तब से ही जमानत पर है और मामला लगभग तीन दशक पुराना हो चुका है।
इस निर्णय ने एक बार फिर न्याय प्रणाली में मामलों के निपटारे में लगने वाले समय को लेकर बहस छेड़ दी है।