महिला सशक्तिकरण की अनोखी मिसाल
ग्वालियर जिले की शक्ति दीदियाँ आज आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता की प्रेरक मिसाल बन चुकी हैं। पेट्रोल पंपों पर फ्यूल डिलीवरी वर्कर के रूप में काम कर रही ये महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हुई हैं, बल्कि उन्होंने समाज में अपनी अलग पहचान भी बनाई है।
खुशियों की दास्तां: लता राजौरिया की जुबानी
गणेश पेट्रोल पंप, काल्पीब्रिज के पास कार्यरत लता राजौरिया ने अपने जीवन की नई शुरुआत को साझा करते हुए बताया कि अब वे किसी पर निर्भर नहीं हैं।
ग्वालियर सिटी, डबरा और भितरवार क्षेत्रों में करीब 35 जरूरतमंद महिलाएं “शक्ति दीदी” योजना के तहत पेट्रोल पंपों पर सफलतापूर्वक कार्यरत हैं।

शक्ति दीदी योजना: मान के साथ बढ़ा आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता
मुख्यमंत्री की पहल: नई दिशा, नया उजाला
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सोच के अनुरूप और कलेक्टर रुचिका चौहान की पहल पर शुरू की गई यह योजना उन महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है, जो…
-
आर्थिक रूप से कमजोर हैं
-
पारिवारिक उपेक्षा का शिकार रही हैं
-
जिनके पति का असमय निधन हो चुका है
शक्ति दीदी योजना के लाभ
-
महिलाओं को अब छोटी-बड़ी जरूरतों के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
-
सरकार की लाड़ली बहना योजना और निःशुल्क राशन वितरण जैसी योजनाओं का लाभ भी इन्हें मिल रहा है।
-
जिला प्रशासन ने इनकी ड्यूटी टाइमिंग सुबह 9 से शाम 5 बजे तक निर्धारित की है ताकि ये आसानी से काम कर सकें।
सुरक्षा और सुविधा की पूरी व्यवस्था
-
पेट्रोल पंपों पर नियमित पुलिस गश्त की जाती है।
-
एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है जिसमें शक्ति दीदी, संबंधित थाना, प्रशासनिक अधिकारी, और पेट्रोल पंप संचालक शामिल हैं।
-
खाद्य विभाग के अधिकारी नियमित रूप से निरीक्षण करते हैं।
बदलता माहौल: सकारात्मकता का संचार
-
पेट्रोल पंपों पर ग्राहकों के साथ होने वाले मुँहवाद में कमी आई है।
-
एक सकारात्मक और सुरक्षित वातावरण बना है जो महिला कर्मचारियों को सम्मान के साथ कार्य करने का अवसर देता है।
मासिक आय और बोनस से बढ़ा आत्मबल
-
प्रत्येक शक्ति दीदी को मासिक मानदेय ₹8,000 मिलता है।
-
कुछ पंप संचालकों द्वारा बिक्री पर बोनस भी दिया जाता है।
लता और कुसुमा जैसी महिलाएं बताती हैं कि इस योजना से उन्हें न केवल आर्थिक मजबूती मिली, बल्कि मानसिक रूप से भी वे पहले से ज्यादा सशक्त हो गई हैं।
रोजगार के नए रास्ते, घर से बाहर निकलने की हिम्मत
अब वे महिलाएं भी रोजगार के लिए घर की चारदीवारी से बाहर निकलने लगी हैं जो पहले कभी ऐसा सोच भी नहीं सकती थीं। इच्छुक महिलाएं महिला बाल विकास विभाग या जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक अधिकारी से संपर्क कर इस योजना का लाभ उठा सकती हैं।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में सार्थक पहल
कलेक्टर रुचिका चौहान की यह पहल महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है। इस योजना ने दिखा दिया है कि सही सोच और समर्थन मिले तो कोई भी महिला आत्मनिर्भर बन सकती है।