सिंधिया को खटीक समाज से भेंट किया बकरा…..
ग्वालियर। जाति न धर्म, सेवा ही इनका कर्म… की जीती-जागती मिसाल बन चुका सिंधिया राजपरिवार आज भी सांप्रदायिक सद्भाव और आपसी भाईचारे के लिए अपनी परंपराओं का निर्वहन करता आ रहा है। सर्वधर्म सद्भाव के लिए सिंधिया हर धर्म का पालन करते दिखते हैं वे पूजा-अर्चना के साथ ही अल्ला की इबादत और वाहे गुरु के समक्ष माथा टेकने में परहेज नहीं करते। यही कारण है की वर्षों से हर साल मोहर्रम के मौके पर सिंधिया राजपरिवार ताजिएदारी की परम्रा का निर्वहन करता आ रहा है। सिंधिया परिवार के गोरखी देवघर के पास इमामबाड़े में शाही ताजिया स्थापित किया जाता है।

सिंधिया राजपरिवार का सदस्य इसकी सेहराबंदी करता है। बीते रोज सिंधिया परिवार के मुखिया केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गोरखी पहुंचकर ताजिए पर सेहराबंदी की। इस दौरान उन्होंने शहर काजी के साथ मिलकर ग्वालियर-चंबल अंचल की समृद्धि एवं औद्योगिक विकास के साथ ही मुल्क में अमन, चैन और खुशहाली की दुआ की।
गौरतलब है कि सिंधिया राजवंश रियासत काल से ही सभी धर्मों के त्योहारों में शिरकत करता रहा है। मोहर्रम पर भी सदियों से राजवंश के शाही ताजिए की जियारत की परंपरा चली आ रही है। हर साल गोरखी में शाही इमामबाड़ा बनाकर वहां पर सिंधिया राजवंश का ताजिया स्थापित किया जाता है।

और एक निश्चित तारीख और समय पर राजवंश का मुखिया सेहराबंदी करता है। मोहर्रम पर इसे करबला में विसर्जित किए जाने के दौरान सिंधिया परिवार की ओर से नियुक्त शाही प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं। ज्योतिरादित्य आज भी अपने पूर्वजों की इस पंरपरा का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। जो सद्भाव की मिसाल बनी हुई है।
जब सिंधिया को भेंट किया बकरा
खटीक समाज के कार्यक्रम के दौरान एक अजीब वाक्या देखने को मिला। जब समाज के लोगों ने उन्हें भरे मंच पर बकरा भेंट कर दिया। यह देख सिंधिया भी दंग रह गए। बाद में सिंधिया ने बकरे को पुचकारकर समाज के लोगों को ही वापस कर दिया।