भारत में जहरीली दवाई बेची जा रही है, जिससे काई बच्चों की मोत हुई है। इसा ही मामला MP से सामने आया है।मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में अब तक 11 मासूम बच्चों की मौत ने स्वास्थ्य प्रशासन की नींद उड़ा दी है। छिंदवाड़ा में बच्चों को खतरनाक कफ सिरप के सेवन के बाद बच्चों की मौत और बीमारियां सामने आई हैं, जिससे संबंधित कफ सिरप बनाने वाली कंपनी को बैन करदिया गया है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में हाल ही में कई बच्चों की मौत और बीमारी के मामलों के बाद काई शहरू में सिरप को बैन किया गया है। चलिए जानते है की सरकार ने इस मामले पर क्या कार्रवाई करेगी?
Sresun फार्मासूटिकल को बैन किया गया।
मध्य प्रदेश में और कई राज्यों में “Coldrif syrup” को बनाने वाली कंपनी Sresun फार्मासूटिकल को बैन किया गया है। इस सिरप के सेवान के बाद MP में कई बच्चों की मौत हुई है। इसके चलते हालही में छिंदवाड़ा में डॉक्टर प्रवीण सोनी को शनिवार देर रात गिरफ्तार कर लिया है।डॉक्टर प्रवीण सोनी के खिलाफ परासिया सीएचसी से बीएमओ अंकित सहलाम ने शिकायत की थी, इनके और कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी थी। इस मामले में ड्रग्स एवं कॉस्मेटिक एक्ट की धारा 27(A), बीएनएस की धारा 105 और 276 के तहत केस दर्ज किया गया है। वहीं, शनिवार को सीएम मोहन यादव ने प्रत्येक मृतक बच्चों के परिजनों को 4 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की। वहीं, राज्य सरकार ने कहा कि बीमार बच्चों के इलाज का खर्च सरकार निर्वहन करेगी।
जांंच रिपोर्ट में क्या आया सामने?
बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार को तमिलनाडु औषधि नियंत्रण विभाग से शनिवार को एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में बताया गया कि जांच में जो सैंपल भेजा गया था, वह मिलावटी था। इस सिरप में 48.6 प्रतिशत डाइएथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया है। बताया जाता है कि एंटी-फ्रीज और ब्रेक फ्लूइड्स में इस्तेमाल होने वाला डीईजी, निगलने पर किडनी फेल होने से मौत होने का खतरा बना रहता है।
कमलनाथ ने पोस्ट में क्या कहा?
नाथ ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “छिंदवाड़ा में ज़हरीली कफ सिरप पीने से अब तक 11 बच्चों की मौत हो चुकी है. इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं. लेकिन यह याद रखना चाहिए कि यह सिर्फ़ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि मानव निर्मित त्रासदी है. मैं मध्य प्रदेश सरकार से मृतक बच्चों के परिवारों को 50-50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का आग्रह करता हूं.”
उन्होंने कहा, “सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि राज्य में किस तरह की दवाइयां बिक रही हैं. नकली और जहरीली दवाओं के खिलाफ एक बड़े अभियान की ज़रूरत है,ताकि ऐसी त्रासदी दोबारा न हो. सामने आ रहे तथ्य बताते हैं कि छिंदवाड़ा और पूरे मध्य प्रदेश में बच्चों की जान जोखिम में डाली गई. इस तरह की मिलावट लंबे समय तक अनियंत्रित रही, जिससे “राज्य में कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह से विफल” हो गया.”