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इंटरनेशनल फ्लाइट से महंगी घरेलू उड़ाने

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सिंधिया के दखल के बाद हवाई किराए में हुए 61 प्रतिशत की कमी, कंपनियों से कहा कि किराए बढ़ाने की भी हो एक सीमा

ग्वालियर/एजेंसी। नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि कंपनियों के पास हवाई किराये का निर्धारण करने का अधिकार है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे अपनी मनमानी करें। किराया बढ़ाने की एक सीमा होनी चाहिए। मंत्रालय की भूमिका सुविधा प्रदाता की है न कि नियामक की।
केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने यह बात देश में अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवाओं से ज्यादा घरेलू सेवाओं का किराए होने पर संबंधित कंपनियों को हिदायत देते हुए कही। अपनी जिम्मेदारी को समझें कंपनियां
सिंधिया ने कहा कि यदि क्षमता कम है और मांग अधिक है और इनपुट लागत को कम नहीं किया जा सकता है तो दरें कम नहीं होंगी। निजी एयरलाइन कंपनियों की भी अपनी सामाजिक जिम्मेदारी होती है और सभी क्षेत्रों में किराया बढ़ाने की एक सीमा होनी चाहिए।
उन्होंने उड्डयन मंत्रालय की भूमिका को स्पष्ट करते हुए कहा कि मंत्रालय की भूमिका एक सुविधा प्रदाता की है, न कि नियामक की।
दुबई से महंगा दिल्ली-मुंबई किराया
भारत में हवाई जहाज से सफर करने वालों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। सामान्य तौर पर हम सबको यही लगता है कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के मुकाबले घरेलू उड़ानें सस्ती होती हैं, लेकिन ये पूरी तरह सच नहीं है।
दरअसल, देश की राजधानी दिल्ली से आर्थिक राजधानी मुंबई तक का हवाई सफर का किराया दुबई के किराए से भी मंहगा हो गया है। नए रेट के मुताबिक, दिल्ली से मुंबई के बीच राउंड ट्रिप का किराया दुबई के टिकट से भी ज्यादा महंगा हो गया था।
क्यों बढ़ रहे हैं दाम?
दिल्ली-मुंबई के बीच कीमतों के बढ़ने के कई कारण हैं, जैसे दोनों शहर के बीच सफर करने वाले पैसेंजर की तादाद का बढ़ना, बड़ी संख्या में सीटें न होना और ऑपरेशनल कॉस्ट में बढ़ोतरी शामिल है।
प्राइसिंग स्ट्रक्चर पर उठ रहे सवाल
प्राइस में बढ़ोतरी को लेकर अब टिकट के प्राइसिंग स्ट्रक्चर पर भी सवाल उठने शुरू हो चुके हैं। आपको बता दें कि एविएशन एक्सपर्ट मौजूदा स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
दाम बढ़ने से यात्रियों के हो रही परेशानी का हल एक्सपर्ट निकालने में लगे हैं। वहीं, दूसरी ओर एयरलाइन पर भी ग्राहकों को जोड़े रखने के लिए सस्ती टिकट देने का प्रेशर है। बढ़े हुए दाम के साथ यात्रा करना पैसेंजर्स के लिए चुनौती तो है ही लेकिन साथ ही एयरलाइन्स के पास भी मौका है कि वो अपनी कीमतों को तय करने के लिए कोई बीच का रास्ता लेकर आए।
बढ़ते किराए के बाद से अलग-अलग एयरलाइन के स्टेकहोल्डर्स को भी इसका हल निकलने का इंतजार कर रहे हैं। एविएशन सेक्टर कनेक्टिविटी और यात्रा के अनुभव को बेहतर बनाने के साथ-साथ देश की आर्थिक व्यवस्था में भी योगदान देता है।
लेकिन सिंधिया ने लोगों को राहत दिलाने के लिए भी दृढ़ संकल्पित हैं। ऐसी स्थिति में वे कंपनियों से किराए को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कर रहे हैं।

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