मोदी को लिखे पत्र में सुप्रीम कोर्ट की गरिमा की रक्षा की अपील
सुप्रीम कोर्ट की आलोचना पर जताई चिंता
नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के पूर्व अध्यक्ष अदिश सी. अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट पर की गई टिप्पणी को चिंताजनक बताया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणियां न्यायपालिका में जनता के भरोसे को कमजोर कर सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले संविधान के अनुरूप: अग्रवाल
पत्र में वरिष्ठ वकील अदिश सी. अग्रवाल ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के उस बयान पर गहरी चिंता जताई है, जिसमें उन्होंने कथित रूप से कहा था:
“अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो फिर संसद को बंद कर देना चाहिए।”
इस बयान को अग्रवाल ने “चौंकाने वाला” करार दिया और कहा कि सत्तापक्ष के नेताओं की ओर से ऐसे बयान, आम जनता के मन में न्यायपालिका के प्रति भरोसा खत्म कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों का हवाला
पूर्व SCBA अध्यक्ष ने अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट के दो महत्वपूर्ण फैसलों का उल्लेख किया—
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पंजाब राज्य बनाम पंजाब के राज्यपाल के प्रधान सचिव
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तमिलनाडु राज्य बनाम तमिलनाडु के राज्यपाल
इन 2023 के ऐतिहासिक मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 200 और 201 के तहत यह स्पष्ट किया कि चूंकि इन अनुच्छेदों में कोई निर्धारित समय सीमा नहीं है, इसलिए न्यायालय ने राष्ट्रपति और राज्यपाल को विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए तीन महीने की तार्किक समय सीमा तय की। यह फैसला संविधान की सीमाओं में रहते हुए लिया गया था।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता का सम्मान जरूरी
अदिश सी. अग्रवाल का यह पत्र एक बार फिर इस बात की ओर संकेत करता है कि भारत में न्यायपालिका की स्वतंत्रता और गरिमा को बनाए रखना लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है। इस तरह की राजनीतिक टिप्पणियां न्याय व्यवस्था की साख को चोट पहुंचा सकती हैं, इसलिए ज़रूरत है कि नेताओं द्वारा दिए जाने वाले बयानों में जिम्मेदारी और संतुलन हो।