रतलाम।
देश-दुनिया में चमत्कारी संत के रूप में प्रसिद्ध श्री सत्य साईं बाबा के विचार आज भी समाज को सेवा और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाते हैं। उन्होंने हमेशा शिक्षा को सिर्फ ज्ञान अर्जन का साधन नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण का माध्यम माना। यह बात केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रतलाम में श्री सत्य साईं विद्या मंदिर के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कही।

सत्य साईं बाबा ने सिखाया – शिक्षा का असली उद्देश्य है चरित्र निर्माण : ज्योतिरादित्य सिंधिया
“यह केवल एक स्कूल नहीं, बल्कि सेवा और संस्कारों का मंदिर है”
कार्यक्रम में भावुक होते हुए सिंधिया ने कहा, “यह आयोजन मेरे लिए अत्यंत विशेष है क्योंकि आज मुझे सत्य साईं बाबा को स्मरण करने का अवसर मिला। उनकी उपस्थिति आज भी हमारे विचारों और सेवा में जीवित है।”
उन्होंने बाबा के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा – “शिक्षा जीवन जीने के लिए नहीं, बल्कि जीवन के लिए होनी चाहिए।” यह संस्था आज न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आध्यात्मिक शिक्षा और मूल्यों की अलख जगा रही है।
सिंधिया परिवार और साईं बाबा का गहरा संबंध
सिंधिया ने बताया कि उनके परिवार का श्री सत्य साईं बाबा से विशेष जुड़ाव रहा है। “मेरी दादी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया और मेरे पूज्य पिताजी को बाबा के दर्शन और मार्गदर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। बाबा के तीन मूल सिद्धांत — ‘सबसे प्रेम करो, सबकी मदद करो और किसी का बुरा मत सोचो’ — हमारे परिवार के लिए प्रेरणा रहे हैं।”
शिक्षा से होगा संतुलित विकास और सेवा की भावना पैदा
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमें इतिहास की महान विभूतियों को केवल पढ़ना नहीं चाहिए, बल्कि उनके विचारों को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करनी चाहिए। “आत्मज्ञान और सेवा — यही सच्ची शिक्षा है, और यही हमारे संतुलित विकास और जनसेवा का आधार होना चाहिए।”
साईं बाबा की स्मृति में जारी होगा डाक टिकट
कार्यक्रम के अंत में सिंधिया ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की — “सत्य साईं बाबा के विचारों को अमर रखने के लिए केंद्र सरकार उनकी स्मृति में एक विशेष डाक टिकट जारी करेगी।”
उन्होंने आशा व्यक्त की कि रतलाम में स्थापित यह विद्यालय भविष्य में ज्ञान, संस्कार और सेवा का एक विशाल वटवृक्ष बनेगा। कार्यक्रम के दौरान संस्था की ओर से सिंधिया को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।