मध्य भारतीय हिंदी साहित्य सभा ग्वालियर के तत्वावधान में भारत की विश्व की देन विषय पर आयोजित की जा रही है दो दिवसीय संगोष्ठ
ग्वालियर। मध्य भारतीय हिंदी साहित्य सभा के तत्वावधान में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में “भारत को विश्व की देन“ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। शनिवार को मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने संगोष्ठी का शुभारंभ किया। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराडकर उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता थे।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर अरविंद कुमार शुक्ल एवं स्वदेश समूह के संपादक अतुल तारे विशिष्ट अतिथि थे। अध्यक्षता अखिल भारतीय साहित्य परिषद के महामंत्री ऋषि कुमार मिश्र ने की। जबकि मध्य भारतीय हिंदी साहित्य सभा के अध्यक्ष डॉ. कुमार संजीव, एवं मंत्री धीरज शर्मा भी विशेष रूप से मौजूद रहे।

मुख्यअतिथि नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत की सभ्यता, संस्कृति और परंपरा को जानने के लिए सिर्फ एक सत्र पर्याप्त नहीं है। हमारी संस्कृति संस्कार और सभ्यता हजारों सालों से समृद्ध है लेकिन एक कालखंड ऐसा आया। जिसने हमें आत्महीनता और आत्म ग्लानि में डुबो दिया। यह दौर था मुगलों के आक्रमण का। यह दौर था अंग्रेजों की पराधीनता का। इस दौर में हमने खुद को हीन भावना से ग्रसित कर लिया।
हाल के वर्षों में 2014 के बाद के वर्तमान दौर को देखें तो देशवासियों में आत्म गौरव का भान हुआ है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि संस्कारों से निर्मित व्यक्ति जब जिम्मेदारियां संभालता है तो हमें अपनी संस्कृति पर गर्व होता है।

उन्होंने कहा हमारी नई पीढ़ी को साहित्य की ज्यादा जानकारी नहीं है। इसके लिए नई पीढ़ी को दोष देना ठीक नहीं है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति अपने साहित्य अपने काव्य से अवगत कराएं। मध्य भारतीय हिंदी साहित्य सभा इस कार्य को बखूबी अंजाम दे रही है। शब्द और साहित्य हमारी ताकत है। इसीलिए साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है।
श्री तोमर ने कहा कि साल 2014 के बाद से हमें अपने भारतीय होने पर गर्व महसूस होने लगा है। यही नहीं दुनिया भर में भी भारत का मान सम्मान बढ़ा है। जी20 और पेरिस में सोलर अलायंस का जिक्र करते हुए कहा कि भारत की विशेषता ताकत विज्ञान और बुद्धिमत्ता के कारण ही अमेरिका के राष्ट्रपति को कहना पड़ा वन वर्ल्ड, वन सन, वन मोदी।