राज्यपाल ने कहा, “मनुष्य के जीवन में संगीत का है विशेष स्थान”
ग्वालियर। राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय का छठवाँ दीक्षांत समारोह रविवार को गरिमामयी माहौल में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने 122 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 33 शोधार्थियों को शोध उपाधियाँ प्रदान कर सम्मानित किया।
🎶 “संगीत हर उम्र में हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है”, यह बात राज्यपाल ने अपने प्रेरणादायी संबोधन में कही। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय भारतीय शास्त्रीय संगीत और कला को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में शोभा यात्रा निकालकर राज्यपाल को मंच तक लाया गया।
🏅 दीक्षांत समारोह की मुख्य झलकियाँ:
🔹 समारोह की अध्यक्षता पद्मश्री कबीर भजन गायक श्री कालूराम बामनिया ने की।
🔹 विशेष अतिथि के रूप में वरिष्ठ तबला वादक एवं शिक्षाविद् प्रो. पं. किरण देशपाण्डे मौजूद रहे।
🔹 कुलगुरु प्रो. स्मिता सहस्त्रबुद्धे, कुलसचिव प्रो. राकेश कुशवाह समेत विश्वविद्यालय परिषद के सदस्य उपस्थित रहे।
🎓 विद्यार्थियों को मिली स्वर्णिम सफलता
इस विशेष अवसर पर वर्ष 2020 से 2024 तक के सत्रों में उत्कृष्ठ प्रदर्शन करने वाले 122 छात्रों को स्वर्ण पदक, तथा 33 छात्रों को पीएचडी (शोध उपाधियाँ) प्रदान की गईं। समारोह में प्रो. किरण देशपाण्डे को D.Litt की मानद उपाधि भी दी गई।
🪘 तबले से जताया आभार
🎵 मानद उपाधि प्राप्त करने के बाद प्रो. देशपाण्डे ने अपनी भावपूर्ण तबला प्रस्तुति से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा, “यह तबला वादन मेरे धन्यवाद का प्रतीक है।”
राज्यपाल ने उनकी सराहना करते हुए कहा कि युवाओं को 87 वर्षीय प्रो. देशपाण्डे से प्रेरणा लेनी चाहिए। जिस प्रकार क्रिकेट में शतक लगता है, उसी तरह संगीत में उनका यह जीवन एक अद्वितीय शतक है।
🕉️ भजनों और जनजातीय नृत्य ने बढ़ाई गरिमा
🎤 पद्मश्री कालूराम बामनिया ने गुरु महिमा पर आधारित कबीर भजनों की प्रस्तुति दी, जिसे श्रोताओं ने तालियों से सराहा।
💃 समारोह में विश्वविद्यालय के छात्रों ने सहरिया जनजाति नृत्य प्रस्तुत कर लोकसंस्कृति की छवि को जीवंत कर दिया।

राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय का छठवाँ दीक्षांत समारोह आयोजित
📜 समापन से पूर्व…
कार्यक्रम का शुभारंभ शोभायात्रा और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। कुलगुरु द्वारा विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। मंच पर सभी अतिथियों का भव्य स्वागत हुआ। मंच और परिसर में छात्रों व अभिभावकों की मुस्कान, सफलता की अनुगूंज थी।
✨ यह दीक्षांत समारोह केवल उपाधियाँ बाँटने का कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह भारतीय संगीत, संस्कृति और शिक्षा को समर्पित एक भावनात्मक उत्सव था।