खेत से निकलीं रजनीगंधा की शाखाएँ व फूल जहां गुलदस्तों और मालाओं के माध्यम से लोगों को मनमोहक खुशबू से मंत्र मुग्ध कर रहे हैं तो वहीं सरवन के घर में समृद्धि की महक बिखेर रही है|
— हितेन्द्र सिंह भदौरिया
ग्वालियर | पुष्प क्षेत्र विस्तार योजना कैसे लोगों के जीवन में खुशियों की महक बिखेर रही है। इसका जीता जागता उदाहरण है सरवन। जी, हॉ एक सामान्य सा किसान लेकिन अब वह बन गया है अन्य किसानों के लिए नजीर |
सरवन ने जब से पारंपरिक खेती के स्थान पर रजनीगंधा की खेती अपनाई है, तब से उनका घर खुशियों से महक उठा है। पहले जी-तोड़ मेहनत के बावजूद उन्हें अपनी खेती से कोई खास आमदनी नहीं हो पाती थी। उद्यानिकी विभाग की “पुष्प क्षेत्र विस्तार योजना” ने उनके लिये समृद्धि के दरवाजे खोल दिए हैं।
सरवन के खेत से निकलीं रजनीगंधा की शाखाएँ व फूल जहां गुलदस्तों और मालाओं के माध्यम से लोगों को मनमोहक खुशबू से मंत्र मुग्ध कर रहे हैं तो वहीं सरवन के घर में समृद्धि की महक बिखेर रही है|
गिरवई गाँव निवासी प्रगतिशील कृषक सरवन सिंह कुशवाह बताते हैं कि पहले हम अपने एक बीघा खेत में गेहूँ की फसल लेते थे। इसमें लागत ज्यादा लगती और आमदनी कम होती थी |
उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों की सलाह पर हमने “पुष्प क्षेत्र विस्तार योजना” के तहत कंदीय पुष्प रजनीगंधा की खेती शुरू कर दी। रजनीगंधा की फसल उगाने में प्रयुक्त होने वाले खाद-बीज एवं कीट व्याधियों से बचाव की जानकारी हमें विभाग से आसानी से मिल गई।
सरवन के मुताबिक रजनीगंधा की खेती शुरू करने के लिये एक लाख 15 हजार रुपए की लागत आई। जिसमें “पुष्प क्षेत्र विस्तार योजना” के तहत मुझे 15 हजार रुपए का अनुदान मिला।
सरवन ने बताया कि जब हम अपने एक बीघा खेत में गेहूँ उगाते थे तब 9 हजार 500 रुपए की लागत आती थी और मात्र 15 हजार 500रुपए की आमदनी हो पाती थी। उसमें अपनी मेहनत जोड़ लें तो न के बराबर आमदनी होती। जिस एक बीघा खेत में पहले 8 से 10 क्विंटल गेहूँ पैदा होता था, उसी खेत में अब रजनीगंधा की 50 से 55 हजार डंडियां मिल जाती हैं, जो लगभग ढ़ाई लाख रुपए की बिक जाती हैं। खर्चा निकालकर हमें शुद्ध एक लाख 35 हजार रुपए की आमदनी हो जाती है।
नगदी खेती अपनाने के बाद आय में हुए इजाफे की खुशियां सरवन के चेहरे पर साफ पढ़ी जा सकती हैं। सरकार के प्रति आभार जताते हुए सरवन बोले कि “पुष्प क्षेत्र विस्तार योजना” ने हमारे परिवार की खुशियों में चार चाँद लगा दिए हैं |