— भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर राधा अष्टमी का व्रत किया जाता है। इस दिन को राधा जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस खास दिन पर आप राधा रानी और भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।
धर्म डेस्क। राधा अष्टमी इस बार 11 सितंबर को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राधा रानी के बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है। माना जाता है कि राधा अष्टमी पर विधि-विधान पूर्वक राधा जी की पूजा-अर्चना और व्रत करने से भगवान कृष्ण भी प्रसन्न होते हैं। साथ ही साधक की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। ऐसे में आप इस खास दिन पर राधा जी के 108 नामों का जाप कर सकते हैं। किशोरी के इन नामों का जाप करने से भगवान श्रीकृष्ण की अति कृपा बरसती है और साधक के सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं।
राधा जी के 108 नाम
ॐ श्रीराधायै नमः
ॐ राधिकायै नमः
ॐ जीवायै नमः
ॐ जीवानन्दप्रदायिन्यै नमः
ॐ नन्दनन्दनपत्न्यै नमः
ॐ वृषभानुसुतायै नमः
ॐ शिवायै नमः
ॐ गणाध्यक्षायै नमः
ॐ गवाध्यक्षायै नमः
ॐ जगन्नाथप्रियायै नमः
ॐ किशोर्यै नमः
ॐ कमलायै नमः
ॐ कृष्णवल्लभायै नमः
ॐ कृष्णसंयुतायै नमः
ॐ वृन्दावनेश्वर्यै नमः
ॐ कृष्णप्रियायै नमः
ॐ मदनमोहिन्यै नमः
ॐ श्रीमत्यै कृष्णकान्तायै नमः
ॐ कृष्णानन्दप्रदायिन्यै नमः
ॐ यशस्विन्यै नमः
ॐ यशोगम्यायै नमः
ॐ यशोदानन्दवल्लभायै नमः
ॐ दामोदरप्रियायै नमः
ॐ गोकुलानन्दकर्त्र्यै नमः
ॐ गोकुलानन्ददायिन्यै नमः
ॐ गतिप्रदायै नमः
ॐ गीतगम्यायै नमः
ॐ गमनागमनप्रियायै नमः
ॐ विष्णुप्रियायै नमः
ॐ विष्णुकान्तायै नमः
ॐ विष्णोरंकनिवासिन्यै नमः
ॐ यशोदानन्दपत्न्यै नमः
ॐ यशोदानन्दगेहिन्यै नमः
ॐ कामारिकान्तायै नमः
ॐ कामेश्यै नमः
ॐ कामलालसविग्रहायै नमः
ॐ जयप्रदायै नमः
ॐ जयायै नमः
ॐ गोप्यै नमः
ॐ गोपानन्दकर्यै नमः
ॐ कृष्णांगवासिन्यै नमः
ॐ हृद्यायै नमः
ॐ चित्रमालिन्यै नमः
ॐ विमलायै नमः
ॐ दुःखहन्त्र्यै नमः
ॐ मत्यै नमः
ॐ धृत्यै नमः
ॐ लज्जायै नमः
ॐ कान्त्यै नमः
ॐ पुष्टयै नमः
ॐ गोकुलत्वप्रदायिन्यै नमः
ॐ केशवायै नमः
ॐ केशवप्रीतायै नमः
ॐ रासक्रीडाकर्यै नमः
ॐ रासवासिन्यै नमः
ॐ राससुन्दर्यै नमः
ॐ हरिकान्तायै नमः
ॐ हरिप्रियायै नमः
ॐ प्रधानगोपिकायै नमः
ॐ गोपकन्यायै नमः
ॐ त्रैलोक्यसुन्दर्यै नमः
ॐ वृन्दावनविहारिण्यै नमः
ॐ विकसितमुखाम्बुजायै नमः
ॐ पद्मायै नमः
ॐ पद्महस्तायै नमः
ॐ पवित्रायै नमः
ॐ सर्वमंगलायै नमः
ॐ कृष्णकान्तायै नमः
ॐ विचित्रवासिन्यै नमः
ॐ वेणुवाद्यायै नमः
ॐ वेणुरत्यै नमः
ॐ सौम्यरूपायै नमः
ॐ ललितायै नमः
ॐ विशोकायै नमः
ॐ विशाखायै नमः
ॐ लवंगनाम्न्यै नमः
ॐ कृष्णभोग्यायै नमः
ॐ चन्द्रवल्लभायै नमः
ॐ अर्द्धचन्द्रधरायै नमः
ॐ रोहिण्यै नमः
ॐ कामकलायै नमः
ॐ बिल्ववृक्षनिवासिन्यै नमः
ॐ बिल्ववृक्षप्रियायै नमः
ॐ बिल्वोपमस्तन्यै नमः
ॐ तुलसीतोषिकायै नमः
ॐ गजमुक्तायै नमः
ॐ महामुक्तायै नमः
ॐ महामुक्तिफलप्रदायै नमः
ॐ प्रेमप्रियायै नमः
ॐ प्रेमरुपायै नमः
ॐ प्रेमभक्तिप्रदायै नमः
ॐ प्रेमक्रीडापरीतांग्यै नमः
ॐ दयारुपायै नमः
ॐ गौरचन्द्राननायै नमः
ॐ कलायै नमः
ॐ शुकदेवगुणातीतायै नमः
ॐ शुकदेवप्रियायै सख्यै नमः
ॐ रतिप्रदायै नमः
ॐ चैतन्यप्रियायै नमः
ॐ सखीमध्यनिवासिन्यै नमः
ॐ मथुरायै नमः
ॐ श्रीकृष्णभावनायै नमः
ॐ पतिप्राणायै नमः
ॐ पतिव्रतायै नमः
ॐ सकलेप्सितदात्र्यै नमः
ॐ कृष्णभार्यायै नमः
ॐ श्यामसख्यै नमः
ॐ कल्पवासिन्यै नमः