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साहित्य की विशिष्ट उपलब्धि होगी “चिंतन सृजन“

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युवा साहित्यकार डॉ. लोकेश तिवारी की नवीन कृति का विमोचन समारोह आयोजित
ग्वालियर। शहर के युवा कवि एवं साहित्यकार डॉ.लोकेश तिवारी की नवीन कृति “चिंतन सृजन“ का लोकार्पण समारोह जीवाजी विश्वविद्यालय के गालव सभागार में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रेम चंद सृजन पीठ उज्जैन के पूर्व निदेशक एवं शिक्षाविद जगदीश तोमर थे। अध्यक्षता अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर ने की। जबकि उद्भव क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक संस्थान के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. केशव पाण्डेय तथा शासकीय महाविद्यालय करैरा के प्राचार्य लखन लाल खरे विशिष्ट अतिथि थे।
सारस्वत अतिथिद्वय एमएलबी महाविद्यालय ग्वालियर की प्राध्यापक डॉ. पद्मा शर्मा एवं साहित्य परिषद् भिंड के संरक्षक डॉ सुखदेव सेंगर रहे। कार्यक्रम का संचालन राम लखन शर्मा “अंकित“ ने तथा आभार व्यक्त डॉ. लोकेश तिवारी ने किया।

उत्कृष्ट सृजन की नजीर
मुख्य अतिथि तोमर ने कहा चिंतन सृजन कृति साहित्य के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करेगी। इनका सृजन उत्कृष्ट है। इस पुस्तक में श्याम सुंदर दास, आचार्य रामचंद्र शुक्ल एवं महावीर प्रसाद द्विवेदी की झलक मिलती है। युवा साहित्यकारों के लिए यह कृति नजीर बनेगी।
समाज के प्रेरणादायी साहित्य
विशिष्ट अतिथि डॉ. पाण्डेय ने कहा कि साहित्य समाज के लिए बहुत ही प्रेरणादायी होना चाहिए। इन्होंने अपनी कृति में इसे चरितार्थ कर दिखाया है। ऐसा ही चिंतन एवं लोक व्यवहार पुस्तक में समाहित होना साहित्यकार की सबसे अच्छी उपलब्धि होगी। मन, क्रम एवं वचन से से जो बड़े होते हैं वही सिद्ध होते हैं।
शीर्षक पर खरी उतरती कृति
अध्यक्षता कर रहे पराड़कर ने कहा कि “चिंतन सृजन “शीर्षक पर पूर्णतः खरी उतरती है। साहित्यकार स्वयं साहित्य के लिए उत्तरदाई होता है। साहित्य सृजन में इसका विशेष महत्व होता है।
शब्द का प्रयोग और शैली महत्वपूर्ण
पुस्तक की समीक्षा करते हुए डॉ. सेंगर ने कहा ,“साहित्य का सृजन बहुत ही सूझबूझ एवं विविधता के साथ होता है। इसमें हर शब्द का प्रयोग,प्रभाव एवं शैली आदि महत्वपूर्ण होती है।“ डॉ.लोकेश ने अपनी कृति में इसका पूर्ण रूप से समावेश किया है।
इष्ट देव की उपासना से अहसास
इसी क्रम में डॉ. पद्मा शर्मा ने कहा कि रचनाकार इष्ट देव की उपासना करता है, तब सकारात्मक का अहसास उसके अंदर सृजन के रूप में होता है। डॉ. लोकेश ने अपनी पुस्तक में समस्त विषयों को समाहित करते हुए सृजन के धर्म को बखूबी निभाया है।
शिव महिमा का समावेश
डॉ. लखन लाल खरे ने कहा कि कृति में शिवत्व, शिव की वृत्ति एवं शिव महिमा का समावेश है, समता का भाव सृजन में प्रयोग किया गया है। राष्ट्र के लिए सकारात्मक एवं प्रकृति दर्शन आदि परिलक्षित होते हैं।
अतिथियों को किया सम्मानित
मंचासीन अतिथियों को सम्मानित किया गया। श्रीधर पराड़कर को सेंट्रल स्कूल भिंड के आलोक, लवली शर्मा ने डॉ. केशव पाण्डेय को सरप हाई स्कूल की प्राचार्य विनीता रानी अत्रि एवं शिक्षक मृदुला गुप्ता स्मृति चिंह भेंट कर शॉल एवं श्रीफल प्रदान कर सम्मानित किया।
इस मौके पर डॉ. कृष्णकांत शर्मा, डॉ. सुरेश सम्राट, हरिओम गौतम, शिवदत्त कटारे, तहसीलदार, किंकरपाल सिंह जादौन, डॉ. सुखदेव माखीजा, भानु प्रताप तोमर, डॉ. सुनील त्रिपाठी, राम प्रकाश अहिरवार, रामचरण चिराड़ रुचिर एवं सूर्यभान गुर्जर ने अन्य अतिथियों को सम्मानित किया। अतिथियों ने सामूहिक रूप से पुस्तक का विमोचन किया।
इस मौके पर डॉ. मंजू लता आर्य, डॉ. कुसुम भदौरिया, डॉ. दीप्ति गौड, उमा उपाध्याय, रामचरण “रुचिर“, मंजु नरबरिया, डॉ.सुधीर चतुर्वेदी, प्रकाश मिश्र, राजेश अवस्थी लावा, समेश कटारिया, धीरज शर्मा, अवधेश त्रिपाठी, शिवम सिसौदिया, जगमोहन श्रीवास्तव, सरिता चौहान, डॉ. मीना प्रसाद, डॉ. करुणा सक्सेना, रामलाल साहू बेकस, नयन श्रीवास्तव, सुनील त्रिपाठी निराला, आदित्य अंशुधर, रवि बघेल, आशा पाण्डेय एवं एसएन पाण्डेय प्रमुख रूप से मौजूद थे।

PostedBy : विजय पाण्डेय

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