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पोषण पखवाड़ा 2024 : कुपोषण पर वार, स्वस्थ कल की ओर बढ़ते कदम

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पोषण पखवाड़ा 2024 : कुपोषण पर वार, स्वस्थ कल की ओर बढ़ते कदम

मध्यप्रदेश में 8 से 22 अप्रैल तक मनाया जा रहा है सातवां पोषण पखवाड़ा

भोपाल। मध्यप्रदेश इन दिनों पोषण पखवाड़े की गूंज से गूंज रहा है। 8 अप्रैल से शुरू हुआ यह अभियान 22 अप्रैल तक चलेगा और इसका मकसद है – हर घर तक पोषण का संदेश पहुंचाना, खासतौर पर महिलाओं और बच्चों को एक बेहतर और सेहतमंद जीवन की ओर ले जाना।

हर साल की तरह इस बार भी यह पखवाड़ा पूरे जोश और जागरूकता के साथ मनाया जा रहा है। इस दौरान तरह-तरह की गतिविधियों और कार्यक्रमों के ज़रिए लोगों को बताया जा रहा है कि संतुलित आहार और सही जीवनशैली से कैसे कुपोषण को मात दी जा सकती है।

🔶 क्यों खास है यह पखवाड़ा?

इस बार पोषण पखवाड़े में चार अहम विषयों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है:

  1. जीवन के पहले 1000 स्वर्णिम दिन

  2. पोषण ट्रैकर ऐप का उपयोग और जानकारी

  3. गंभीर कुपोषण पर CMAM रणनीति के ज़रिए नियंत्रण

  4. 6 साल से कम उम्र के बच्चों में मोटापे की रोकथाम


🌱 जीवन की नींव – पहले 1000 दिन

बच्चे के जन्म से लेकर पहले दो साल तक यानी कुल 1000 दिन उसके मानसिक और शारीरिक विकास की बुनियाद रखते हैं। इसी दौरान दिमाग का 85% विकास हो जाता है।
इसलिए इस समय में माँ का पोषण, स्तनपान और बच्चे की सही देखभाल सबसे जरूरी होती है। पोषण पखवाड़े में खासतौर पर माताओं को संतुलित आहार के लिए जागरूक किया जा रहा है।


📲 डिजिटल युग में पोषण की निगरानी

अब पोषण की निगरानी भी डिजिटली हो रही है!
‘poshantracker.in’ पोर्टल और ऐप के ज़रिए अब माता-पिता अपने बच्चों के पोषण स्तर की जानकारी घर बैठे हासिल कर सकते हैं। इसमें पंजीकृत मोबाइल नंबर से लॉग इन कर के पोषण आहार, आंगनवाड़ी सेवाएं और स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम जानकारी एक क्लिक में मिलती है।


🛡️ CMAM से गंभीर कुपोषण पर प्रहार

2020 से शुरू हुई मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्धन योजना के अंतर्गत अब सामुदायिक स्तर पर गंभीर कुपोषित बच्चों (SAM), अति कम वजन वाले बच्चों (SUW), और मध्यम कुपोषित बच्चों (MAM) की पहचान की जा रही है।
इन बच्चों की स्वास्थ्य जांच, भूख की परख और ज़रूरत के मुताबिक उपचार किया जा रहा है – और सबसे अहम, इसमें पूरे परिवार की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।


⚖️ बचपन में मोटापा – अब है सतर्क होने का समय

NFHS की रिपोर्ट बताती है कि छोटे बच्चों में मोटापा बढ़ता जा रहा है – और यह चिंता की बात है।
सरकार अब स्कूलों में पौष्टिक भोजन को बढ़ावा दे रही है, जंक फूड से दूरी बनाने के लिए जागरूकता फैलाई जा रही है और पोषण ट्रैकर के ज़रिए मोटापे के खतरे वाले बच्चों की पहचान कर उनके माता-पिता को खास परामर्श दिया जा रहा है।


📢 पूरे प्रदेश में जागरूकता की लहर

पोषण पखवाड़े को और ज़्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों पर ढेरों गतिविधियाँ हो रही हैं — जैसे थीम आधारित कार्यक्रम, योग सत्र, पोषण रैली, साइकिल रैली, एनीमिया जांच शिविर, लंच बॉक्स प्रतियोगिताएं और सामूहिक चर्चाएं।

पोषण ट्रैकर ऐप पर रजिस्ट्रेशन के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है ताकि पोषण से जुड़ी समस्याओं को समय पर पहचाना और हल किया जा सके।


इस पोषण पखवाड़े के साथ आइए, एक नई शुरुआत करें — स्वस्थ बच्चों, सशक्त माताओं और एक सशक्त भारत की ओर।

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