प्रधानमंत्री ने पर्चा दाखिल करने से पहले काशी कोतवाल के सामने सामने हाजिरी लगाकर ली इजाजत,गंगा सप्तमी का चुना शुभ मुहूर्त
वाराणसी। गंगा का पुत्र मानने वाले प्रधानमंत्री नरेंद मोदी तीसरी बार वाराणसी से चुनाव मैदान में आ गए हैं। मंगलवार को गंगा सप्तमी के शुभ मुहूर्त में उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। जहां उन्होंने अपने प्रस्तावकों के साथ अपना पर्चा भरा।
आपको बतादें कि मोदी नामांकन दाखिल करने पहले काल भैरव यानी काशी कोतवाल की शरण में पहुंचे। उन्होंने काल भैरव के दर्शन कर नामांकन दाखिल करने की इजाजत मांगी और पंडितों से आशीर्वाद प्राप्त किया। वाराणसी दश्वमेघ घाट पर गंगा पूजा की।
— कोतवाल की इजाजत है जरूरी
काशी के कोतवाल को लेकर मान्यता है कि उनकी इजाजत के बिना काशी में पत्ता भी नहीं हिलता है। आम और खास जो भी काशी पहुंचता है, काशी के कोतवाल के दर पर हाजिरी सबसे पहले भरता है। इसके बाद काशी के बाबा के दर्शन को पहुंचता है। हर नेक काम के लिए उनकी इजाजत लेना जरूरी होता है। मोदी भी नामांकन दाखिल करने से पहले काशी के कोतवाल के दर पर सिर झुकाने पहुंचे। मान्यता है कि काल भैरव शहर को बुरी ताकतों से बचाते हैं। इन्हें काशी का संरक्षक माना जाता है। भैरव नाथ जी, भगवान शिव के क्रोध का अवतार कहा गया है।
नामांकन के लिए 14 मई है खास
प्रधानमंत्री ने नामांकन दाखिल करने के लिए 14 मई क्यों चुनी? यह सुनने में साधारण बात लग रही हो पर आज गंगा सप्तमी है। गंगा सप्तमी को लेकर पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन गंगा नदी का पृथ्वी लोक पर अवतार हुआ था। पीएम मां गंगा का कई बार जिक्र करते हैं और कहते हैं कि उन्हें सेवा के लिए मां गंगा ने बुलाया है।
मोदी के खास प्रस्तावक
प्रधानमंत्री के नामांकन में भी पार्टी ने समाजों का ख्याल रखा। जो प्रस्तावक बनाए गए हैं उनमें पंडित गणेश शास्त्री यह ब्राह्मण समाज से हैं। इन्हांने ही अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकाला था। दूसरे हैं ओबीसी वर्ग के बैजनाथ पटेल। यह संघ के पुराने कार्यकर्ता हैं। तीसरे प्रस्तावक हैं लालचंद कुशवाह, यह भी ओबीसी वर्ग के हैं। जबकि चौथे प्रस्तावक संजय सोनकर दलित समाज के हैं। सामान्य, ओबीसी और दलित को एक साथ लेकर मोदी ने जातीय समीकरण साधकर बड़ा संदेश दिया है।
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