भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पुलिसकर्मियों को सांसदों और विधायकों को सलामी देने के आदेश को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने एक वीडियो जारी करते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला और वर्दी का अपमान करार दिया।
डीजीपी के आदेश पर भड़के पटवारी
हाल ही में प्रदेश के डीजीपी कैलाश मकवाना ने आदेश दिया कि पुलिस अधिकारी और कर्मचारी नेताओं को सलामी देंगे। इस आदेश से मध्यप्रदेश की सियासत में हलचल मच गई है। जीतू पटवारी ने सवाल उठाया कि जब प्रदेश में कानून व्यवस्था चरमराई हो, पुलिस खुद अपराधियों के निशाने पर हो, तो ऐसे आदेश लोकतंत्र के मूल सिद्धांत ‘जनता सर्वोच्च है’ का घोर अपमान है।
पुलिस पर बढ़ते हमले और अपराध
पटवारी ने कहा कि प्रदेश में रेत, शराब, भूमि माफिया और ट्रांसपोर्ट सिंडिकेट पुलिस को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। बीते छह महीनों में पुलिस थानों पर हमले, जवानों के साथ मारपीट और अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण जैसी घटनाएं बढ़ी हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, महिलाओं, बच्चों और दलितों पर अपराध के मामलों में मध्यप्रदेश शीर्ष पर है।
जीतू पटवारी ने उठाए अहम सवाल
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क्या पुलिस की प्राथमिकता अपराध रोकना है या नेताओं को सलामी देना?
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क्या थानों में नेताओं को सलामी देने के बाद निष्पक्ष जांच संभव होगी?
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क्या माफिया अब नेताओं के संरक्षण में और ज्यादा ताकतवर नहीं होंगे?
आदेश के दुष्परिणाम
पटवारी ने चेताया कि इस आदेश से पुलिस पर राजनीतिक दबाव वैध हो जाएगा, जनता का पुलिस पर भरोसा कमजोर होगा और अफसरशाही का मनोबल टूटेगा। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों का अनुशासन भी इस आदेश से प्रभावित होगा।
निष्कर्ष
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार से मांग की है कि वह पुलिस को अपराध से लड़ने दे, न कि नेताओं को सलामी देने के लिए मजबूर करे। जनता की सुरक्षा और पुलिस की निष्पक्षता से समझौता लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है।