इस्लामाबाद: पाकिस्तान के आर्थिक हालात दिन-प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं। अगर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से जल्द मदद नहीं मिली तो पाकिस्तान डिफॉल्ट भी हो सकता है। डिफॉल्ट होने की स्थिति में पाकिस्तान के पास अपने पुराने कर्जों को चुकाने के लिए पैसे नहीं बचेंगे। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था के चरमराने का खतरा और ज्यादा बढ़ जाएगा। पाकिस्तान में विदेशी निवेश पहले ही काफी कम है। डिफॉल्ट होने की सूरत में यह लगभग खत्म ही हो जाएगा। इसका सबसे बड़ा नुकसान पाकिस्तानी मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री को होगा, जो सामान को विदेश निर्यात कर देश के लिए विदेशी मुद्रा जुटाते हैं। पाकिस्तान ने हाल में ही पेट्रोल के दाम में 35 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की है। यह आईएमएफ ने मदद करने की पहली शर्त थी। बाकी की शर्तों में टैक्स बढ़ाना, भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करना भी शामिल हैं। पाकिस्तान के इस फैसले के बाद संभावना है कि उसे जल्द ही आईएमएफ की मदद मिल सकती है। लेकिन, क्या होगा अगर पाकिस्तान डिफॉल्ट हो जाए…
पाकिस्तानी आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, इस बात की संभावना बेहद कम है कि पाकिस्तान डिफॉल्ट होगा। इसके बावजूद अगर पाकिस्तान डिफॉल्ट होता है तो पहले दिन देश में गतिरोध काफी तेज रहेगा। सरकार के लिए यह आपातकालीन स्थिति होगी और वे मौजूदा हालात को समझने और उसका हल खोजने का प्रयास करेंगे। कर्ज देने वाले देश और संस्थान कर्ज या समर्थन के आकार पर पाकिस्तान के प्रति अपने दृष्टिकोण पर काम करना शुरू कर देंगे। बाजार और व्यवसाय में बड़ी गिरावट की शुरुआत होगी और कई कंपनियां, फैक्ट्रीज और सर्विसेज खुद को डिफॉल्ट घोषित करना शुरू कर देंगे। व्यापार बंद होने के कारण नौकरियों में भारी कटौती होगी, जिससे आर्थिक मंदी की शुरुआत माना जाएग
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