भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने नियमों को सरल और आधुनिक बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। करीब छह महीने की व्यापक समीक्षा के बाद आरबीआई ने 5,673 पुराने और अप्रासंगिक सर्कुलर्स को रद्द कर दिया है। वहीं 3,800 से अधिक उपयोगी सर्कुलर्स को अलग-अलग श्रेणियों में समाहित कर 244 मास्टर गाइडलाइन तैयार की गई हैं। कुल मिलाकर 9,446 सर्कुलरों को या तो मास्टर दिशानिर्देशों में शामिल किया गया है या समाप्त कर दिया गया है।
अब बैंकों, वित्तीय संस्थानों और आरबीआई-नियंत्रित सभी संस्थाओं को अनुपालन के लिए केवल अपने क्षेत्र से संबंधित मास्टर निर्देशों को ही देखना होगा।
ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा?
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एस.सी. मुर्मू के अनुसार, इस बड़े बदलाव का प्रभाव आम ग्राहकों तक भी पहुंचेगा।
1.सरकारी प्रतिभूतियों के बदले मिलने वाले ऋण से जुड़े नियमों में संशोधन किया गया है। इसलिए ऐसे लोन लेने वाले ग्राहकों को नई शर्तों और प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ सकता है।
2.आरबीआई ने डिजिटल बैंकिंग के लिए 7 नई मास्टर गाइडलाइन जारी की हैं। इनका प्रभाव डिजिटल पेमेंट, ऑनलाइन बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, सुरक्षा मानकों पर पड़ने वाला है। इससे सेवाएं अधिक सुरक्षित और पारदर्शी होने की उम्मीद है।
3. शिकायत समाधान प्रक्रिया सरल होगी जिससे नई गाइडलाइन में कई प्रक्रियाएं सरल और स्पष्ट की गई हैं, जिससे ग्राहकों की समस्याओं का समाधान तेजी से हो सकेगा।
4. सेवा शुल्क और अनुपालन शुल्क पर अप्रत्यक्ष असर क्योंकि बैंकों का अनुपालन खर्च घटेगा, इसलिए लंबे समय में इसका फायदा ग्राहकों को भी मिल सकता है।
आरबीआई का सबसे बड़ा नियम
डिप्टी गवर्नर मुर्मू ने बताया कि यह आरबीआई के इतिहास का सबसे व्यापक नियामक समीक्षा अभियान है। जिसमें अधिकारियों ने 1940 के दशक से जारी हर सर्कुलर की जांच की। रद्द किए गए सबसे पुराने सर्कुलर 1944 के पाए गए ।पहली बार सभी सर्कुलर्स का समय-सीमा और प्रासंगिकता तय की गई है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा के निर्देश के बाद यह व्यापक सफाई अभियान शुरू किया गया था, ताकि नियम स्पष्ट, संक्षिप्त और आधुनिक बनाए जा सकें।
केंद्र और अन्य संस्थाओं में भी चल रहा है इसका विस्तार
केंद्र सरकार भी पुराने कानूनों को हटाने और आधुनिक बनाने पर काम कर रही है। SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) भी इसी तरह पुराने नियमों को अपडेट कर रहा है। जिससे अक्टूबर में जारी 238 मसौदों के बाद अब जारी 244 मास्टर निर्देशों में डिजिटल बैंकिंग, लोन पॉलिसी, ग्राहक संरक्षण, वित्तीय संस्थानों के संचालन सब शामिल हैं।