कला समूह के तीन दिवसीय नाट्य महोत्सव के पहले दिन एक था गधा उर्फ अलादाद खान के मंचन ने सोचने पर किया मजबूर
ग्वालियर। जिसे चापलूसी पसंद है वह अपने विवेक से कुछ भी नहीं कर पाता है और एक तरीके से चापलूसों को गुलाम बन कर रह जाता है। ऐसा ही हुआ नवाब साहब के साथ। जो चापलूसों के चक्कर में पड़ कर एक गधे का इंसान की तरह मातम मना बैठता है।

चापलूसी से भरा यह नजारा देखने को मिला नबाव साहब की कहानी पर आधारित हास्य नाटक एक था गधा उर्फ अलादाद खान के मंचन के दौरान। कला समूह की ओर से तीन दिवसीय नाट्य महोत्सव हंगरी स्टोन्स् की शुरूआत हुई। कला समूह की वरिष्ठ कलाकार पंचाली वर्धन की स्मृति में इस महोत्सव को आयोजित किया जा रहा है।
तीन दिवसीय महोत्सव के पहले दिन शरद जोशी द्वारा लिखित इस नाटक में नवाब साहब को कुछ चापलूस अलादाद की मौत की खबर सुनाते हैं। जनता के बीच अपने फायदे के लिये वो अलादाद के जनाजे में शामिल होने की घोषणा कर देते हैं। बाद में उन्हें पता चलता है कि अलादाद नाम के एक व्यक्ति को मरवा देते हैं। इसके बाद उसके जनाजे में शामिल होते हैं। महोत्सव के मुख्य अतिथि राजामान सिंह कला एवं संगीत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. स्वतंत्र नाहर थे। अध्यक्षता कला समूह के अध्यक्ष डॉ. केशव पाण्डेय ने की। संचालन गौरव सिसौदिया ने किया।
जबकि इस नाटक का निर्देशन व नाटक की मुख्य भूमिका नबील सिंह गौर ने निभाई व सहयोगी कलाकार की भूमिका में अनिकेत, दिव्यांश, कनिष्का, अभिराज, अंशु थे। राजेन्द्र मुदगल व अरविन्द जैमिनी का विशेष योगदान रहा।