महर्षि अरविंद जन्म जयंती के उपलक्ष में आयोजित की गई ज़िला स्तरीय व्याख्यान माला
ग्वालियर। मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद की ओर से महर्षि अरविंद जयंती के अवसर पर ज़िला स्तरीय व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्रीविभाष उपाध्याय मुख्य अतिथि थे। संत श्री ऋषभानंद महाराज ने अध्यक्षता की। जबकि संभागीय समन्यव्यक सुशील बरूआ विशिष्ट अतिथि थे।
मुख्य अतिथि श्री उपाध्याय ने कहा कि महर्षि अरविंद के अनुसार विकास का तात्पर्य केवल शारीरिक विकास से नहीं हैं, चेतना में परिवर्तन ही विकास है।
उन्होंने सफलता और सार्थकता में अंतर स्पष्ट करते हुए बताया कि सनातन संस्कृति के अनुसार कैसे जीवन सार्थक बनाया जा सकता हैं। कैसे हमारे संत, हमारे ग्रंथ साहित्य हमें सनातनी बनने में सहयोग करते हैं।

अध्यक्षता कर रहे ऋषभानंद महाराज ने कहा कि महर्षि अरविंद एक योगी, द्रष्टा, दार्शनिक, कवि और राष्ट्रवादी थे। जिन्होंने आध्यात्मिक विकास के माध्यम से पृथ्वी पर दिव्य जीवन के दर्शन को प्रतिपादित किया। महर्षि अरविंद ने भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा भी उत्तीर्ण की, किंतु राष्ट्रहित के लिये कार्य करने के लिये उन्होंने अध्यात्म को चुना। महर्षि अरविंद ने कई क़िताबे लिखी , वो जो जानना चाहते थे , उसे जानकर ही रहते थे । उन्होंने दो नियमों का प्रतिपादन किया जिसने एक नियम योग्य का था जिसमें सत्य, चित, आनंद का सिद्धांत और दूसरा विकास का सिद्धांत जिसमें बताया कि किस प्रकार शिक्षा को संस्कारी बनायें, सेवा में लगायें , सबके सम्मुख संवाद रख सकें , संतों के साथ जुड़ सके”।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1893 में तीन सुखद घटनाएँ हुई जिसमें पहली घटना शिकागो की हैं, जहां स्वामी विवेकानंद जी ने भारतीय दार्शनिक ज्ञान से सबको आश्चर्य चकित कर दिया। दूसरी घटना गांधी जी के जीवन के ऊपर थी जिन्होंने आज़ादी के लिए आंदोलन खडा कर दिया। तीसरी घटना अरविंद जी की पश्चिमी देश से पढ़ाई कर वड़ोदरा वापस लौटने की रही। लौटने के बाद वे 1905 में राष्ट्रीय आंदोलन को गति देने के लिये कोलकाता में रहने लगे। वे वहाँ पर क्रांतिकारी के रूप में उभरकर सामने आये। यदि हमे अध्यात्म की ओर जाना हैं तो हमें आंतरिक व्यवधानों से मुक्त रहना होगा।
इससे पूर्व व्याख्यान माला का शुभारंभ अतिथियों द्वारा महर्षि अरविंद जी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन एवं कन्या पूजन के साथ हुआ। स्वागत उदबोधन एवं कार्यक्रम की रूपरेखा सुशील बरुआ द्वारा प्रस्तुत की गई ।
कार्यक्रम के अंत में स्नेह यात्रा में सहयोग प्रदान करने वाले सभी सहयोगियों को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया। संचालन मनोज दुबे ने तथा आभार व्यक्त जिला समन्वयक धर्मेन्द्र कुमार दीक्षित ने व्यक्त किया।
इस मौके पर ब्लॉक समन्यवक घनश्याम रायपुरिया, प्रीति वाजपेयी, विनोद शर्मा, सोहन भदौरिया, समाजसेवी हरिओम गौतम, उदय यादव, लाखन सिंह, रुस्तम सिंह के साथ प्रस्फुटन समितियों, नवांकुर संस्थाओं, मेंटर्स, सीएमसीएलडीपी के विद्यार्थीं , वॉलंटियर्स तथा परिषद से जुड़े अन्य स्वैच्छिक संगठनों के 300 से अधिक पदाधिकारी व सदस्य मौजूद थे।