MP Promotion 2025: हाई कोर्ट में मामला अटका, कर्मचारियों की बाट

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MP Promotion 2025: हाई कोर्ट में मामला अटका, कर्मचारियों की बाट

मध्य प्रदेश में पदोन्नति नियम 2025  को लेकर स्थिति अभी भी अस्पष्ट है। यह मामला वर्तमान में हाई कोर्ट जबलपुर में विचाराधीन है, जहां अनारक्षित वर्ग और एससी-एसटी वर्ग दोनों अपनी-अपनी दलीलें रख चुके हैं। अब सरकार की तरफ से जवाब देना बाकी है। अदालत का अंतिम निर्णय आने तक प्रदेश के लाखों अधिकारी-कर्मचारी पदोन्नति से वंचित रहेंगे। हालांकि, छह विशेष संवर्गों पर इस लंबित मामले का कोई असर नहीं पड़ेगा और उन्हें 1 जनवरी 2026 से उच्च पदनाम और वेतनमान मिल जाएगा।

कौन-कौन से संवर्ग होंगे प्रभावित नहीं?

जिन छह संवर्गों को राहत मिलेगी, वे हैं—

  • अखिल भारतीय सेवा
  • राज्य प्रशासनिक सेवा
  • कोष एवं लेखा विभाग
  • स्वास्थ्य विभाग
  • जनजातीय कार्य विभाग
  • स्कूल शिक्षा विभाग

इनके अधिकारियों को तय समयसीमा पर उच्च पद का वेतनमान और पदनाम मिलता रहेगा।

निर्णय तक ‘क्रमोन्नति’ व्यवस्था ही आधार

कमल नाथ सरकार के कार्यकाल में हुए विचार-विमर्श में यह तय किया गया था कि जब तक न्यायालय का अंतिम फैसला नहीं आता, तब तक क्रमोन्नति व्यवस्था लागू रहेगी, ताकि किसी कर्मचारी को करियर ग्रोथ से वंचित न रहना पड़े।

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सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने इसका परिपत्र भी जारी किया था और चार विभागों कोष एवं लेखा, स्वास्थ्य, स्कूल शिक्षा और जनजातीय कार्य ने अपने भर्ती नियमों में संशोधन कर समयमान वेतनमान के साथ पदनाम देने का प्रावधान लागू कर दिया था।

GAD ने खुद लागू नहीं किया अपना आदेश

मंत्रालय सेवा अधिकारी-कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक के अनुसार अब तक मंत्रालय सेवा के कर्मचारियों को क्रमोन्नति का लाभ नहीं दिया गया है। नायक ने यह भी कहा कि आश्चर्यजनक रूप से GAD ने स्वयं अपने जारी किए परिपत्र को अपने विभाग में लागू नहीं किया।

ऐसे में स्थिति यह बन गई है कि कुछ संवर्गों के अधिकारी तो पदोन्नत हो जाएंगे, लेकिन बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारी नियमों की जटिलताओं में फंसे रहेंगे।

लाखों कर्मचारियों पर अनिश्चितता का साया

पदोन्नति विवाद का अदालत में लंबित रहना लाखों कर्मचारियों के करियर पर प्रभाव डाल रहा है। प्रशासनिक विशेषज्ञों का मानना है कि क्रमोन्नति व्यवस्था को सार्वभौमिक रूप से लागू करने से न तो आरक्षण व्यवस्था पर कोई असर पड़ेगा और न ही पदोन्नति विवाद में पेच बढ़ेगा। लेकिन जब तक फैसला नहीं आता, तब तक प्रदेश के अधिकांश कर्मचारियों के लिए पदोन्नति दूर ही रहेगी और उनकी उम्मीदें कोर्ट के निर्णय पर टिकी रहेंगी।

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