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शिव को समर्पित मोहिनीअट्टम ने मोहा मन

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शिव पंचक पर ओडिसा के कलाकारों ने किया नृत्य अभिनय
ग्वालियर |
संगीत के सुरों से सजा मंच और उस मंच पर शहर के साथ देश के अन्य क्षेत्रों से आए कलाकारो द्वारा शास्त्रीय गायन,वादन और नृत्य की अद्भुत प्रस्तुतियां। ये सब देखने को मिला जल विहार में, जहां संस्कार भारती और नगर निगम द्वारा पिंगलनाम संवत्सर 2081 के विदाई महोत्सव का आयोजन देखने को मिला।
कार्यक्रम का आकर्षण ओडिसी नृत्य रहा, जिसे वहां के जनजातीय क्षेत्रों की रहने वाली सुनीमा, स्वस्तिका प्रधान और देवकी मलिक ने राग रागेश्री पल्लवी, ताल एक ताल में शिव पंचक पर नृत्य अभिनय अद्भुत रूप से प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ रूपाली गोखले और उनके साथियों द्वारा संस्कार भारती के ध्येय गीत से हुई। कार्यक्रम का संचालन संस्कार भारती के महामंत्री चंद्रप्रताप सिकरवार ने किया।

मंच से दिखा भरतनाट्यम
साथ ही कोयंबत्तूर से आईं श्रीमती इंदुमती और उनके साथी कलाकारों द्वारा भरतनाट्यम और मोहिनीअट्टम की शानदार प्रस्तुति भी आकर्षण का केंद्र रही। इसमें अश्विनी, कीर्ति द्वारा गणपति स्तुति पर भरतनाट्यम की प्रस्तुति हुई। इसके बाद अश्विनी ने ही भरतनाट्यम के माध्यम से शिव तांडव का अद्भुत प्रदर्शन किया। इसी क्रम में तिल्लाना को अश्विनी,कीर्ति द्वारा प्रस्तुत किया गया। क्रम को आगे बढ़ाते हुए इंदुमती, गंगा द्वारा मोहिनीअट्टम की प्रस्तुति हुई। इसमें शिव स्तुति के साथ आदिशक्ति को समर्पित नृत्य मंच से प्रस्तुत किया गया।

नवरागों में प्रवाहित हुई संगीत सरिता
अब गायन का क्रम शुरू हुआ। अनूप मोघे, डॉ रूपाली गोखले और वैशाली मोघे के संयोजन में संगीत सरिता नवराग मंजरी की सुंदर प्रस्तुति हुई। पहले राग यमन में गणेश स्तुति की प्रस्तुति दी, जिसके बोल थे हे गणराज महाराज..। फिर राग मारवा, राग दुर्गा और राग झिंझोटी में देवी स्तुति प्रस्तुत की गई। इसी क्रम में राग काफ़ी में होरी,राग खमाज में भक्ति रचना ताल आद्या त्रिताल, राग भूपाली में त्रिवट, राग देस में चतुरंग की प्रस्तुति दी। अंतिम प्रस्तुति अनूप मोघे द्वारा रचित तराना को राग मालकौंस में प्रस्तुत किया गया।

ध्रुपद शैली में सूरबहार
नृत्य, गायन के क्रम में डॉ श्याम रस्तोगी द्वारा सुरबहार पर डागर परंपरा से दीक्षित ध्रुपद शैली से वादन हुआ। उन्होंने राग और शैली की शुद्धता के साथ राग वर्धिनी में आलाप,जोड़ और झाला प्रस्तुत किया। इसके बाद मध्यलय चौताल एवं द्रुत ले सुलताल में बंदिशे पेश की।

काव्य गोष्ठी में पढ़ी रचनाएं
गायन वादन, नृत्य के क्रम में ही मंजरी काव्य गोष्ठी हुई।
इसमें सुनीति बैस, मुक्ता सिकरवार,आशा पांडेय, पुष्पा शर्मा , व्याप्ति उमड़ेकर ने काव्य पाठ किया। संचालन सुनीति बैस द्वारा किया गया।
पंक्तियां हैं-
शुभ कर्मों के शुभागमन की स्वर्णिम बेला आई है,

दिव्य अवध में राम विराजे सबको आज बधाई है।- पुष्पा शर्मा

कभी शून्य पर कभी शिखर पर
कभी धरा पर कभी अंबर पर
मिल जायेंगे पदचिन्ह मेरे

कभी लक्ष्य पर कभी डगर पर – मुक्ता सिकरवार

किसको न लुभाता है
दरबार ये फागुन का
ये किसने किया रुच रुच

श्रृंगार ये फागुन का- आशा पांडेय

अच्छे किरदार से ही सर रखो ऊंचा करके
जाओ दुनिया से अगर जाओ तो अच्छा करके,
हौसले क़ायम रखें ये मुश्किलों का दौर है ,

ये नहीं आफ़ात से ज़ोख़िम उठाना छोड़ दें – सुनीति बैस

मन मन बासन में, स्नेह रंग भरकर।
कस्तूरी सुगंध गंध, घोले चितचोर है।
कृष्ण कृष्ण रट रट, राधा रानी दिन रत।
कृष्णरूप धर रही, सारंग विभोर है।- व्याप्ति उमड़ेकर


ये रहे मौजूद –
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मध्यक्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य श्री यशवंत इंदापुरकर, मध्यभारत प्रांत सहकार्यवाह श्री विजय दीक्षित,
संगीत विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रो स्मिता सहस्त्रबुद्धे, नगर निगम आयुक्त संघप्रिय,सभापति मनोज सिंह तोमर, पूर्व सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, आईआईटीटीएम के निदेशक डॉ आलोक शर्मा, संस्कार भारती की ओर से महानगर अध्यक्ष डॉ संजय धवले, कार्यकारी अध्यक्ष दिनेश चंद्र दुबे, प्रांत महामंत्री मोतीलाल, अभा मातृ शक्ति संयोजक अनीता करकरे सहित शेखर दीक्षित, आशुतोष वाजपेई आदि मौजूद रहे

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