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मौन की भाषा समझते हैं प्रभु : राघव ऋषि

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ऋषि सेवा समिति द्वारा माधव मंगलम गार्डन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छंठवे दिन रुकमणी विवाह का प्रसंग सुन आनंदित हुए श्रद्धालु
ग्वालियर। दुनिया से बात करने फोन की और प्रभु से बात करने मौन की जरूरत होती है। संसार को चाहने वाला बिखर जाता है भगवान को चाहने वाला निखर जाता है। छोटी सोच शंका को बड़ी सोच समाधान को जन्म देती है। सत्कर्म करो मनमाना आचरण मत करो,क्योंकि कर्म से ही जन्म और मृत्यु तय होती है। यह विचार राघव ऋषि महाराज ने नदी गेट स्थित माधव मंगलम गार्डन में ऋषि सेवा समिति द्वारा आयोजित की जा रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन बुधवार को व्यक्त किए।


उन्होंने कहा कि मनुष्य जन्म भक्ति करने के लिए हुआ है और गोवर्धन लीला भक्ति बढ़ाने वाली लीला है। गोवर्धन लीला से कृष्ण को विश्वास हो गया कृष्ण ही ईश्वर है। उन्होंने बताया कि भक्ति को बढ़ाने के लिए कुछ समय पवित्र स्थल पर जाकर महालक्ष्मी आराधना करो तभी वे हमारी रक्षा करेंगी, क्योंकि संसार गोवर्धन प्रभु के सहारे है। दुख में, विपत्ति में मात्र प्रभु का आश्रय लो सहारा लो।


रासलीला को लेकर उन्होंने कहा कि जीव और प्रभु के मिलन और काम विजय की लीला है। उन्होंने बताया कि सम्पूर्ण भागवत में राधा शब्द का उल्लेख नहीं है, क्योंकि वे शुकदेव जी की गुरु हैं। शुकदेव जी पूर्वजन्म में तोता थे भागवत में श्रीशुक उवाच में लिखा है श्री का अर्थ है राधा। उन्होंने बताया कि संसार में सर्वांगीण सुख की प्राप्ति के लिए महालक्ष्मी आराधना आवश्यक है।


भाव से पूजने पर कृपा बरसाती हैं लक्ष्मीजी
रुकमणि विवाह का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि यदि समर्पण की भावना रहेगी तो रुक्मिणी रुपी भक्त का हरण तो भगवान ही करेंगे। महालक्ष्मी केवल भगवान नारायण की हैं जीव की नहीं अतः भगवान ने रुक्मिणी के साथ विवाह रचाया। जीव यदि महालक्ष्मी को मां की भावना से पूजेगा तभी लक्ष्मीकृपा होगी परन्तु जीव लक्ष्मीपति बनना चाहेगा तो पतन निश्चित है। रुक्मिणी विवाह में बड़ी धूमधाम से सनातन धर्म मंदिर से बारात आई व विवाह विधिवत हुआ।


भंडारे का दसवां हिस्सा गौग्रास निकाले……
इस मौके पर लाल टिपारा आदर्श गौशाला के ऋषभदेव आनंद महाराज ने कहा कि भंडारे का दसवां हिस्सा गौग्रास के लिए निकालें। ज्ञान ऐसा जो व्यवहार में दिखे। भगवान को जिस भाव से भजते हैं वो उसी भाव के अनुरूप फल देते हैं। भाव भार न बने। ईश्वर से प्रार्थना करें कि हम जप तप दान करते रहे।


कथा में मुख्य यजमान विनोद-मधु गोयल ने कन्यादान की रस्म निभाई। इस मौके पर आनन्द मोहन अग्रवाल संतोष अग्रवाल, प्रमोद गर्ग संजय शर्मा, अम्बरीष गुप्ता, उमेश उप्पल, मनीष गोयल, देवेंद्र तिवारी, हरिओम मिश्रा रामसिंह तोमर, रामप्रसाद शाक्य, बद्रीप्रसाद गुप्ता, उदय प्रकाश चितौड़िया, अमित शिवहरे, पंकज श्रीवास्तव प्रवीण त्रिपाठी शैलेन्द्र शर्मा मनोज अग्रवाल, अनिल पुनियानी, संजय दीक्षित महेंद्र भदकारिया आदि लोग मौजूद रहे।
कथा में आज
कथा संयोजक रामबाबू अग्रवाल ने बताया कि गुरुवार की कथा में श्रीकृष्ण के बालसखा सुदामा जी से मिलन का भावपूर्ण प्रसंग रहेगा।

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