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खेलों में रमता था “माधव“ का मन

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ग्वालियर के महाराजा के रूप में लोकप्रिय माधवराव सिंधिया भारतीय राजनीति के राजकुमार थे। मिलनसार, हमेशा मुस्कुराते रहने वाले लेकिन पूरी तरह से कुलीन। उन्हें हर किसी से घुलना-मिलना पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने कभी भी अपने कुलीन व्यवहार के कारण लोगों में बुरा माहौल नहीं बनाया। उनका कुलीन वंश, व्यक्तिगत आकर्षण, वाकपटुता, युवा छवि और लोकतांत्रिक राजनीति की उथल-पुथल को झेलने की प्रतिभा ने उनकी जन अपील को आकार दिया। वे राजनीति के सच्चे जननायक और विकास के मसीहा के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने खेलों के लिए भी अपना जीवन जीया और उनके मन हमेशा खेलों में रमता था। आज उनकी 23वीं पुण्य तिथि है, खेलों के विकास और खिलाड़ियों के लिए दिए गए योगदान को याद करते हुए करते हैं उनका पुण्य स्मरण।

माधवराव सिंधिया की 23वीं पुण्यतिथि आज
— डॉ. केशव पाण्डेय
कैलाशवासी माधवराव सिंधिया देश के सक्रिय राजनेताओं में शुमार थे। उन्होंने पांचवी लोकसभा से लेकर तेरहवीं लोकसभा तक लगातार नौ बार संसद में प्रतिनिधित्व किया। वे भारत सरकार के कई जिम्मेदार विभागों में मंत्री रहे। जिसमें उनके रेलमंत्री के कार्यकाल (1984-1989) को विशेष रूप से याद किया जाता है। नागरिक उड्डयन, पर्यटन व मानव संसाधन एवं विकास जैसे मंत्रालयों का दायित्व भी उन्होंने कुशलतापूर्वक संभाला।
माधव महाराज ने खेलों के क्षेत्र में ऐतिहासिक कार्यों का संपादन किया। उन्होंने खेल प्रशासक के रूप में देश-विदेश में खासी ख्याति प्राप्त की थी। उन्होंने क्रिकेट, हॉकी सहित कई खेलों को अपना प्रत्यक्ष समर्थन दिया। उन्होंने संसद में रहते हुए भी खेलों की आत्मा को जीवित रखा और कई बार संसद की क्रिकेट टीम के कप्तान भी रहे। वे स्वयं क्रिकेट, हॉकी, ब्रिज, गोल्फ आदि के अच्छे खिलाड़ी थे।
उन्हें क्रिकेट से अत्यधिक लगाव था, इसी कारण वे क्रिकेट प्रशासनिक बॉडी के सदस्य बने एवं कई बार विभिन्न क्रिकेट संघों के अध्यक्ष भी रहे। 1967 में ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन की स्थापना हुई और 1976 में माधवराव सिंधिया इस एसोसिएशन के अध्यक्ष बने।
अपने अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान उनकी कप्तानी में ग्वालियर ने सीनियर डिवीजन क्रिकेट टूर्नामेंट के मुकाबले में उज्जैन को हराया।
1982-83 मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने और तब से लगातार 19 वर्षो तक, मृत्युपर्यंत एसोसिएशन के अध्यक्ष पद पर काबिज रहे। इस पद पर रहते उन्होंने एसोसिएशन और प्रदेश के क्रिकेट के विकास में जो महत्वपूर्ण कदम उठाए, वे मील के पत्थर साबित हुए। माधवराव सिंधिया 1991-1993 तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष रहे। उन्होंने इसे विश्व का सबसे धनी क्रिकेट संगठन बना दिया।
सिंधिया भारत में 1996 में हुए ’विल्स विश्वकप’ क्रिकेट मैंचों की समिति ’पिल्कॉम’ के अध्यक्ष रहे। यह विश्वकप भारत, पाकिस्तान एवं श्रीलंका ने संयुक्त रूप से आयोजित किया था। उनके नेतृत्व में ही विश्वकप का सफल आयोजन हुआ था।
माधवराव ने खेल प्रशासक के तौर पर ग्वालियर में क्रिकेट सुविधाओं का विकास पूर्ण मनोयोग से किया। ग्वालियर में अंतरराष्ट्रीय स्तर की क्रिकेट सुविधाएं उपलब्ध करवाईं। ग्वालियर के कैप्टन रूपसिंह क्रिकेट स्टेडियम को अत्याधुनिक एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम बनाया एवं उसमें सभी अत्यावश्यक सुविधाओं का विकास करवाया।
ग्वालियर का रूपसिंह क्रिकेट स्टेडियम सेन्ट्रल जोन का पहला और देश का छठवां ऐसा क्रिकेट स्टेडियम बना, जहॉं खिलाडियों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। वे रूपसिंह स्टेडियम को इंग्लैण्ड के लॉर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम की तरह भव्य और आकर्षक बनाना चाहते थे।
माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर में क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए अनेकों कार्य किए। रूपसिंह स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैच आयोजित हो सकें, इसके लिए 1984 में पिच विशेषज्ञ सीताराम को नियुक्त किया। ग्वालियर स्टेडियम की गैटिंग पिच को निकलवाकर उसकी जगह ’टर्फ पिच’ बनवायी। रूपसिंह स्टेडियम में 1989 में प्रथम अंतरराष्ट्रीय एक दिवसीय मैच भारत एवं वेस्टइंडीज के बीच हुआ। रूपसिंह स्टेडियम में दिन-रात का मैच आयोजित कराने फ्लड लाईट्स लगवाईं। जो 1995 में लगकर तैयार हुईं। 21 फरवरी 1996 में भारत और वेस्टइंडीज के बीच दूधिया रोशनी में पहला मैच हुआ।
1997 में विश्व में प्रथम बार पांच दिवसीय डे-नाइट का रणजी ट्राफी क्रिकेट मैच खेला गया।
सिंधिया ने मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन एवं भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष रहते क्रिकेट खिलाड़ियों की सुख-सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा। रेलमंत्री रहते हुए उन्होंने खिलाड़ियों को रेलवे में नौकरी दिलवायी। उनके अध्यक्ष बनने से पूर्व रणजी ट्राफी खिलाड़ियों को द्वितीय श्रेणी में यात्रा करनी पड़ती थी। उन्होंने खिलाड़ियों को प्रथम श्रेणी में यात्रा करने की सुविधा प्रदान की। साथ ही क्रिकेट खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध करवायीं।
माधवराव ने हॉकी को बढ़ावा देने के लिए भी कई कार्य किए। वे स्वयं भी हॉकी बहुत अच्छी खेला करते थे। जनता ने उन्हें प्रत्यक्षतः छ़त्री मंडी खेल मैदान में स्थानीय खिलाड़ियों के साथ हॉकी खेलते देखा है। ग्वालियर के सिंधिया शासकों ने हॉकी की लोकप्रियता को देखते हुए 1919 में स्थानीय स्तर पर ’सिंधिया हॉकी गोल्ड कप’ की शुरुआत की। 1924 में इस प्रतियोगिता को अखिल भारतीय स्तर का दर्जा मिला। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद मध्यभारत हॉकी संघ ने सिंधिया गोल्ड कप हॉकी प्रतियोगिता के आयोजन कराने की जिम्मेदारी ली। उन्होंने रेल मंत्री बनते ही 1986 में ग्वालियर में पृथक से रेलवे हॉकी स्टेडियम की आधारशिला रखी एवं 1987 में ’एस्ट्रोटर्फ मैदान’ की व्यवस्था करवायी। इसका उद्घाटन भारत और पाकिस्तान के बीच टेस्ट मैच से हुआ। इस प्रकार उन्होंने हॉकी को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करवायीं। खेल प्रेमी सिंधिया जीवन पर्यन्त खेल एवं खिलाड़ियों की बेहतरी के लिए कार्य करते रहे।
ग्वालियर में बेहतर खेल सुविधाएं मुहैया कराने और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने खुली आंखों से एक सपना देखा था कि शहर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का नवीन एवं भव्य क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण किया जाए। वे असमय काल का शिकार होन के कारण इसे मूर्तरूप नहीं दे सके लेकिन उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शंकरपुर में माधवराव सिंधिया क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण कराकर इसे पूरा कर दिया। एमपी लीग के साथ देश की जानी-मानी हस्तियों के बीच हुए धमाकेधार आगाज को पूरी दुनिया ने देखा। आज उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके योगदान को याद कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि व्यक्त करते हैं।

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