खंडवा हादसे के बाद मातम में डूबा गांव: 11 शवों का अंतिम संस्कार

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खंडवा हादसे के बाद मातम में डूबा गांव: 11 शवों का अंतिम संस्कार

खंडवा (मध्य प्रदेश)।

खंडवा जिले में दुर्गा विसर्जन के दौरान हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को गहरे शोक में डुबो दिया है। गुरुवार को डैम के बैकवाटर में ट्रैक्टर-ट्रॉली पलटने से 11 लोगों की मौत हो गई थी। शुक्रवार को सभी मृतकों का गांव में अंतिम संस्कार किया गया। जहां कल तक ढोल-नगाड़ों और डीजे की धुन पर लोग मां दुर्गा की शोभायात्रा में झूम रहे थे, वहीं आज गांव के घर-घर से सिर्फ मातम और चीख-पुकार की आवाजें गूंज रही हैं।

चंदा की मौत से अनजान रहीं बहनें

इस हादसे में 8 साल की मासूम चंदा की भी जान चली गई। उसका शव सबसे आखिर में पानी से निकाला गया। लेकिन उसकी दो छोटी बहनें यह समझ ही नहीं पाईं कि उनकी बड़ी बहन अब इस दुनिया में नहीं है। दोनों बहनें शव के पास खेलती रहीं, जबकि गांववाले और परिजन रो-रोकर बेहाल थे। इस मार्मिक दृश्य ने हर किसी की आंखें नम कर दीं।

हादसे की भयावह तस्वीर

दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के लिए जा रही ट्रॉली में करीब 30 लोग सवार थे। बैकवाटर में अचानक ट्रॉली पलट गई और सभी पानी में गिर गए। इसमें 8 साल की बच्ची से लेकर 25 साल तक की महिलाएं शामिल थीं। 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हैं।

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प्रशासन ने संभाली कमान

शवों को पंधाना सिविल अस्पताल से एंबुलेंस के जरिए गांव लाया गया। हालात की गंभीरता को देखते हुए पाडला फाटा क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। एडिशनल एसपी महेंद्र तारणेकर और डीएसपी हेडक्वार्टर अनिल सिंह चौहान मौके पर डटे रहे।

नेताओं का गांव दौरा

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शुक्रवार शाम 5 बजे गांव पहुंचकर मृतकों के परिजनों से मिलेंगे। इसके लिए गांव के बाहर अस्थायी हेलिपैड बनाया जा रहा है। वहीं कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी भी गांव का दौरा करेंगे।

भाजपा मंत्री विजय शाह पहले ही गांव पहुंचकर मृतकों के परिजन से घर-घर जाकर मिले। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी है और हरसंभव मदद दी जाएगी।

घायलों और पीड़ित परिवारों के लिए मदद

मंत्री विजय शाह ने खंडवा मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. रंजीत बडोले से फोन पर घायलों का हालचाल लिया और निर्देश दिया कि जरूरत पड़ने पर उन्हें इंदौर रेफर किया जाए। उन्होंने मृतकों के परिवारों की बच्चियों—सोनू और पिंकी खरते—का अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के छात्रावास में एडमिशन कराने के भी आदेश दिए।

निष्कर्ष

खंडवा का यह हादसा सिर्फ 11 जिंदगियां ही नहीं ले गया, बल्कि पूरे गांव की खुशियां भी छीन लाया। मासूम चंदा और उसकी बहनों की कहानी ने इस त्रासदी को और भी भावुक बना दिया है। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि सरकार पीड़ित परिवारों को किस तरह से राहत और न्याय दिलाती है।

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