हाईकोर्ट में ईडी की दलील- हमने अंधेरे में तीर नहीं चलाया, वॉट्सऐप चैट और हवाला ऑपरेटर्स के हैं बयान
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवल की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। फिलहाल, फैसले को सुरक्षित रखा गया है।
कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्डिं्रंग के मामले में गिरफ्तारी के खिलाफ मुख्यमंत्री ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा था। ईडी ने अपना जवाब पेश किया।
सिंघवी ने रखा केजरीवाल का पक्ष
केजरीवाल की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ पीएमएलए की धारा 50 के तहत कोई सामग्री नहीं है। ईडी ने पहला समन 30 अक्टूबर 2023 को भेजा था। जबकि नौवां समन 16 मार्च को 2024 को। पहले और आखिरी समन के बीच छह महीने का समय बीत गया। अब ईडी ने बिना किसी सबूत के केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया।
केजरीवाल को रोकने की गिरफ्तारी
वकील सिंघवी ने कहा कि मुख्यमंत्री को लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के प्रत्याशियों का प्रचार करने से रोकने के लिए उन्हें चुनाव के समय पर गिरफ्तार किया गया है। वोट डालने से पहले ही केजरीवाल और उनकी पार्टी को तोड़ने की कोशिश है। ईडी के पास कोई सबूत नहीं है। सरकारी गवाहों के आधार पर गिरफ्तारी की गई है। रेड्डी को 10 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने नौ बयान दिए थे। सात गिरफ्तारी से पहले और दो बाद में। ईडी की तरफ से एएसजी एसवी राजू ने पैरवी की।
जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की कोर्ट में सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से सिंघवी के साथ ही विक्रम चौधरी मौजूद रहे।
सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि लेवल प्लेइंग को ध्यान में रखते हुए यह बहुत इम्पॉर्टेंट केस है। इसमें स्वतंत्र और निष्पक्ष लोकसभा चुनाव शामिल हैं, जो लोकतंत्र का हिस्सा है। इससे हमारा मूलभूत ढांचा बनता है। केजरीवाल की गिरफ्तारी से यह निश्चित हो गया है कि वो लोकतांत्रिक गतिविधियों में नहीं शामिल हो पाएंगे।
मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि पहला समन अक्टूबर 2023 को भेजा गया और गिरफ्तारी 21 मार्च को हुई। इससे दुर्भावना की बू आती है और इससे हमारे मूलभूत ढांचे को नुकसान पहुंच रहा है। मैं यहां राजनीति की नहीं, बल्कि कानून की बात कर रहा हूं। गिरफ्तारी की टाइमिंग इशारा करती है कि यह असंवैधानिक है।