🔥 ऑपरेशन सिंदूर पर कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा भड़के, राहुल गांधी के फैसले पर उठाए सवाल
📍 नई दिल्ली |
भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और PoK में स्थित आतंकी ठिकानों को तबाह किए जाने के बाद, केंद्र सरकार ने पाकिस्तान की आतंकवाद परस्त छवि को विश्व पटल पर उजागर करने के लिए एक अहम कदम उठाया है। इसके तहत 7 अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों का गठन किया गया है, जिनमें 51 सांसद और पूर्व मंत्री शामिल हैं।
👉 इन डेलिगेशन का मकसद है—दुनिया को यह दिखाना कि पाकिस्तान कैसे आतंकियों को शरण देता है और आतंकवाद को बढ़ावा देता है। इन प्रतिनिधिमंडलों के साथ विदेश मंत्रालय के 8 वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।
❗ लेकिन एक सवाल ने मचाया सियासी तूफान:
“कश्मीरी पंडित कहां हैं?”
कांग्रेस के वरिष्ठ राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने इस डेलिगेशन में कश्मीरी पंडित समुदाय के किसी भी प्रतिनिधि को शामिल न किए जाने पर गहरी नाराजगी जताई है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर 7 अंतरराष्ट्रीय डेलिगेशन भेजे जा रहे हैं, पर इनमें एक भी कश्मीरी पंडित नहीं! यह समुदाय तो मानो एक ‘भूली हुई प्रजाति’ बन गया है।”
🔍 राहुल गांधी पर भी निशाना
विवेक तन्खा ने न केवल केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया, बल्कि कांग्रेस नेतृत्व पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि डेलिगेशन के नाम प्रधानमंत्री कार्यालय और विपक्ष के नेता राहुल गांधी की ओर से भेजे गए हैं, लेकिन उनमें भी कश्मीरी पंडितों की झलक तक नहीं है।
🗣️ थरूर और ओवैसी जैसे नेताओं को मिली जगह
इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस सांसद शशि थरूर और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता शामिल हैं, जो मोदी सरकार के प्रखर आलोचक माने जाते हैं। इसके बावजूद उन्हें इस महत्वपूर्ण मिशन का हिस्सा बनाया गया है।
🧭 सवाल उठते हैं…
भारत सरकार का यह कदम जहां अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की सच्चाई उजागर करने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है, वहीं कश्मीरी पंडितों की उपेक्षा इस पहल की समावेशिता और संतुलन पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रही है।