भारत के नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के रूप में जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित औपचारिक समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर कार्यरत रहेंगे। दो दशक से अधिक के न्यायिक अनुभव के साथ वे सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे और कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं।
कौन-कौन शामिल हुआ शपथ ग्रहण समारोह में?
जस्टिस सूर्यकांत के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में देश-विदेश के प्रमुख न्यायाधीश मौजूद रहे। इनमें शामिल थे—
- भूटान के मुख्य न्यायाधीश ल्योंपो नॉर्बू शेरिंग
- ब्राजील के मुख्य न्यायाधीश एडसन फाचिन
- केन्या की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मार्था कूम और सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस सुसान नजोकी
- मलेशिया के संघीय न्यायालय की जज जस्टिस टैन श्री दातुक नालिनी पाथमनाथन
- मॉरीशस की मुख्य न्यायाधीश बीबी रेहाना मुंगली-गुलबुल
- नेपाल के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश मान सिंह राउत, सुप्रीम कोर्ट की जज सपना प्रधान मल्ला और पूर्व जज अनिल कुमार सिन्हा
- श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश पी. पद्मन सुरेसन और सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एस. थुरैराजा तथा जस्टिस ए.एच.एम.डी. नवाज़
जमीन से उठकर देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक
जस्टिस सूर्यकांत का जीवन सफर संघर्ष और साधारण परिवेश से शुरू हुआ। उनका जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले के पेटवार गांव में एक शिक्षक परिवार में हुआ। बचपन ग्रामीण माहौल में बीता, जहां उनके स्कूल में बेंच तक नहीं थीं। पहली बार किसी शहर को उन्होंने 10वीं बोर्ड परीक्षा के दौरान देखा, जब वे हांसी कस्बे पहुंचे थे।
शिक्षा और शुरुआती करियर
- 1981: हिसार के गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से ग्रेजुएशन
- 1984: रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से एलएलबी
- 1984: हिसार जिला अदालत से वकालत की शुरुआत
- 1985: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस
- 2000: हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल बने
- 2001: सीनियर एडवोकेट की उपाधि प्राप्त
- 2004: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के स्थायी जज नियुक्त
- 2018: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने
- 2019: सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त
महत्वपूर्ण फैसलों में निभाई अहम भूमिका
जस्टिस सूर्यकांत कई ऐतिहासिक और संवैधानिक मामलों में अपनी गहरी समझ और स्पष्ट न्यायिक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने जिन प्रमुख विषयों पर फैसले दिए, उनमें शामिल हैं अनुच्छेद 370, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतंत्र और चुनावी सुधार, भ्रष्टाचार पर सख्त रुख, पर्यावरण संरक्षण, लैंगिक समानता, इन मुद्दों पर उनके लिखे फैसले देश की न्याय व्यवस्था को नई दिशा देने वाले माने जाते हैं।
नया अध्याय, नई उम्मीदें
देश के 53वें CJI के रूप में जस्टिस सूर्यकांत से न्यायिक सुधार, त्वरित न्याय और तकनीकी आधुनिकता को बढ़ावा देने की उम्मीदें हैं। उनका 15 महीने का कार्यकाल न्यायपालिका के कई महत्वपूर्ण मोड़ों का साक्षी बन सकता है।