विहसंत सागर महाराज का 12 को डबरा में होगा भव्य मंगल प्रवेश
ग्वालियर। थोड़ा सा सुख थोड़ा सा दुख जिंदगी इसी का नाम है। मानव सुख को पाने के लिए, खुशी पाने के लिए जिंदगी भर दुखों को सहन करता है। धन कमाते- कमाते वृद्ध हो जाता है। परिवार चलाते-चलाते अंत समय नजदीक आ जाता है। लेकिन सुख का अहसास नहीं होता। वह आस करता हुआ मर जाता है, पर दुख समाप्त नहीं होते। इसलिए सुख पाने के लिए दुख को आमंत्रण मत दो, जो मिले उसे सुखी से स्वीकार करो। दुख को सुख समझकर जिंदगी को जियो तो जिंदगी में खुशी होगी।
उपाध्यायश्री विहसंत सागर महाराज ने सोमवार को जैन सिध्दक्षेत्र सोनागिर स्थित भट्टारक कोठी में धर्म सभा को संबोधित करते हुए यह बात कहीं। इस दौरान मुनिश्री विश्वसौम्य सागर महाराज भी मंचासीन थे।

उपाघ्याय श्री ने कहा कि जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होगा। अगर हम जीवन भर सुख को खोजते रहेंगे तो हमें कहीं पर भी सुख नजर नहीं आएगा।उन्होंने कहा कि जिंदगी में सुख व दुख दोनों होना चाहिए, जिससे आत्मा में समता रहे। प्रभु व गुरुओं का स्मरण रहे। उनकी भक्ति व सेवा करते रहें वह दुख भी अच्छा है, जिससे प्रभु का स्मरण हो, पर वह सुख अच्छा नहीं हैं जिसको पाकर प्रभु को भूलकर सांसारिक कार्यो में मग्न हो जाएं।
मुनिश्री ने कहा हमें सुख में भी प्रभु को स्मरण करना चाहिए, क्योंकि जो सुख में प्रभु की भक्ति करता है। प्रभु के गुणगान गाता है, उसे कभी भी दुखों का सामना ही नहीं करना पड़ता है, क्योंकि वह हमेशा सुख में ही रहता है। संयमी लोग हमेशा अपनी साधना में लीन रहते हैं, उन्हें कभी दुख का आभास तक नहीं होता। वह हंसते ही रहते हैं, उनका जीवन हमेशा आंनदमय होता है। वे हमेशा प्रभु भक्ति में लीन रहते हैं। इसिलए उनके पास सुख ही सुख है।

भव्य पंचकल्याणक महोत्सव होगा
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि 25 जून से 30 जून तक मुरैना रोड पर स्थित नवीन जैन मंदिर में भव्य पंचकल्याणक महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। महोत्सव के लिए रायरू के समस्त दिगंबर सकल वरैया जैन समाज के लोगों ने सोनागिर में विहसंत सागर को श्रीफल भेंट किया।