इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी की सरकार देश में धार्मिक और सांस्कृतिक अलगाववाद पर सख्त रुख अपनाने जा रही है। उनकी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली ने संसद में एक नया बिल पेश किया है, जिसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का और नकाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। इसके अलावा, सरकार जबरन धर्म परिवर्तन, जबरन शादी और वर्जिनिटी टेस्ट जैसी प्रथाओं पर भी कठोर कानून लाने की तैयारी कर रही है।
सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहनने पर बैन
रिपोर्ट्स के अनुसार, बुधवार, 8 अगस्त को पेश किए गए इस बिल में यह प्रावधान शामिल है कि देशभर के सभी पब्लिक प्लेस, स्कूल, यूनिवर्सिटी, दुकानों और सरकारी दफ्तरों में बुर्का या नकाब पहनना गैरकानूनी होगा। अगर कोई व्यक्ति इस कानून का उल्लंघन करता है तो उसे 300 से 3,000 यूरो (लगभग ₹30 हजार से ₹3 लाख तक) का जुर्माना देना पड़ सकता है। यह बिल इटली में “इस्लामिक सांस्कृतिक अलगाववाद” से निपटने के उद्देश्य से पेश किया गया है। मेलोनी सरकार का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय एकता, सुरक्षा और महिलाओं की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।
फ्रांस ने सबसे पहले लगाया था प्रतिबंध
फ्रांस यूरोप का पहला देश था जिसने वर्ष 2011 में सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहनने पर बैन लगाया था। इसके बाद ऑस्ट्रिया, तुर्की, ट्यूनीशिया, श्रीलंका और स्विट्ज़रलैंड सहित 20 से अधिक देशों ने भी ऐसी ही पाबंदियाँ लागू कीं। 2017 में यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने बेल्जियम में बुर्का बैन को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की थी कि “किसी देश की सरकार समाज में साथ मिलकर रहने के सिद्धांत की रक्षा के लिए ऐसे प्रतिबंध लगा सकती है।”
धार्मिक संगठनों की फंडिंग पर भी सख्ती
बुर्का बैन के साथ-साथ यह बिल उन धार्मिक संगठनों पर भी नियंत्रण की बात करता है, जो इटली सरकार के साथ औपचारिक समझौते के तहत पंजीकृत नहीं हैं। इन संगठनों को अब अपनी फंडिंग के सभी स्रोतों का खुलासा करना अनिवार्य होगा और वे केवल उन्हीं संस्थाओं से धन प्राप्त कर सकेंगे जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा नहीं हैं। फिलहाल, कोई भी इस्लामिक संगठन इटली सरकार के साथ ऐसा समझौता नहीं रखता, जबकि 13 अन्य धार्मिक समूहों को आधिकारिक मान्यता प्राप्त है।
इस कानून के तहत, सरकार मस्जिदों और इस्लामिक संस्थानों की वित्तीय पारदर्शिता पर कड़ी निगरानी रखेगी।
महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा पर फोकस
मेलोनी सरकार के इस बिल में कई महिला सुरक्षा और मानवाधिकार से जुड़े प्रावधान भी शामिल किए गए हैं।
बिल के अनुसार —
- वर्जिनिटी टेस्ट (कौमार्य परीक्षण) अब एक दंडनीय अपराध होगा।
- किसी महिला का धर्म परिवर्तन कराने के उद्देश्य से जबरन विवाह करने पर सख्त सजा दी जाएगी।
- महिलाओं के प्रति मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न करने वाले धार्मिक या सामाजिक समूहों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
सरकार का कहना है कि यह कानून महिलाओं को धार्मिक और सामाजिक उत्पीड़न से मुक्त कर, उन्हें समान अधिकार दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मेलोनी सरकार का बयान
प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने कहा कि इटली में सभी को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन कोई भी धर्म या परंपरा राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक स्वतंत्रता से ऊपर नहीं हो सकती। सरकार का उद्देश्य है कि इटली को “एक आधुनिक, सुरक्षित और समानता पर आधारित समाज” बनाया जाए, जहाँ हर व्यक्ति की पहचान कानून के दायरे में सुरक्षित रहे।
निष्कर्ष
इटली का यह कदम यूरोप में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता और सांस्कृतिक संघर्षों के बीच एक साहसिक राजनीतिक निर्णय माना जा रहा है। अगर यह बिल संसद से पारित हो जाता है, तो यह न केवल इटली में बल्कि पूरे यूरोप में धर्म और महिला अधिकारों से जुड़े कानूनों पर बड़ा असर डाल सकता है।