ईरान ने इजरायल के लिए जासूसी के आरोप में बाबाक शाहबाजी नामक व्यक्ति को फांसी दे दी। सरकारी एजेंसी मिजान के अनुसार शाहबाजी ने डेटा सेंटर्स और सुरक्षा ठिकानों से संवेदनशील जानकारी इकट्ठा कर इजरायल को बेची थी। हालांकि, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि शाहबाजी को हिरासत में टॉर्चर कर झूठा कबूलनामा कराया गया।
एक्टिविस्ट्स का दावा
एक्टिविस्ट्स के मुताबिक शाहबाजी को यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को मदद की पेशकश करने वाली चिट्ठी लिखने पर गिरफ्तार किया गया था। ईरान रूस को ड्रोन सप्लाई करता है, जिन्हें यूक्रेन पर हमलों में इस्तेमाल किया गया। अधिकार समूहों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि शाहबाजी को फांसी दी जा सकती है।
टेक्नोलॉजी और जासूसी का विवाद
ईरान ने आरोप लगाया कि इजरायल ने शाहबाजी को तकनीकी प्रशिक्षण दिया, यहाँ तक कि उसे माइक्रोसॉफ्ट वर्ड का इस्तेमाल करना भी सिखाया गया। हालांकि एक्टिविस्ट्स इस दावे को हास्यास्पद बताते हैं। ईरान ने यह स्पष्ट नहीं किया कि फांसी किस तरीके से दी गई।
आठ लोगों को मिल चुकी है फांसी
इजरायल के साथ हालिया 12 दिन की जंग के बाद से ईरान अब तक आठ लोगों को जासूसी के आरोप में फांसी दे चुका है। एक्टिविस्ट्स को आशंका है कि सरकार फांसी की सजा का सिलसिला और तेज कर सकती है। जून में हुए संघर्ष में इजरायल-ईरान के बीच हवाई हमले और मिसाइल हमलों में 1,100 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।