तेजस के पूर्व प्रमुख डिजाइनर का बड़ा बयान
ब्रह्मपुर (ओडिशा)। भारत जल्द ही लड़ाकू विमानों के निर्माण में पूर्ण आत्मनिर्भर हो जाएगा। यह कहना है लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस के पूर्व प्रमुख डिजाइनर और पद्मश्री सम्मानित कोटा हरिनारायण का। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत न केवल अपनी वायुसेना की ज़रूरतों को पूरा करेगा, बल्कि मित्र देशों को भी लड़ाकू विमान निर्यात करेगा।
🛩️ “अब समय दूर नहीं जब भारत रक्षा क्षेत्र में सामान बेचेगा” – हरिनारायण
82 वर्षीय एयरोनॉटिकल वैज्ञानिक कोटा हरिनारायण ओडिशा के ब्रह्मपुर स्थित एक निजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने पहुँचे थे। वहां उन्होंने पत्रकारों से कहा:
“अब भारत में एयरक्राफ्ट निर्माण की पूरी प्रणाली विकसित हो चुकी है। तकनीक अब इतनी परिपक्व हो गई है कि जल्द ही देश हर प्रकार के लड़ाकू विमान बना सकेगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि तेजस के विकास के दौरान बनाई गई तकनीक अब ड्रोन, छोटे और मझोले विमानों तक पहुँच चुकी है।
✈️ तेजस की सफलता – स्वदेशी रक्षा प्रणाली की ताकत
हरिनारायण ने जोर देकर कहा कि तेजस का भारतीय वायुसेना में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल यह साबित करता है कि यह स्वदेशी विमान कितना भरोसेमंद, प्रभावशाली और आवश्यक है।
“तेजस ने यह दिखा दिया है कि भारत विदेशी लड़ाकू विमानों पर निर्भर नहीं रह सकता।”
🎯 ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से मिली ताकत की पहचान
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान और पीओके में किए गए सटीक हमलों ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत रक्षा के क्षेत्र में कितना सक्षम और तैयार है।
🛰️ ‘भार्गवास्त्र’ एंटी-ड्रोन तकनीक की सराहना
हरिनारायण ने ओडिशा के गंजाम ज़िले के गोपालपुर में स्वदेशी एंटी-ड्रोन तकनीक ‘भार्गवास्त्र’ के हालिया सफल परीक्षण की भी तारीफ़ की। उन्होंने कहा:
“यह तकनीक कम लागत और उच्च प्रभावशीलता का बेहतरीन उदाहरण है। भारत अब रक्षा नवाचार में भी आगे बढ़ रहा है।”
📌 भारत की उड़ान अब आत्मनिर्भरता की ओर
कोटा हरिनारायण के बयान ने साफ कर दिया है कि भारत अब सिर्फ खरीदार नहीं, बल्कि रक्षा उत्पादों का निर्माता और निर्यातक बनने की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। तेजस से लेकर भार्गवास्त्र तक, भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक अब वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना रही है।