दिल्ली ब्लास्ट की साजिश कैसे बुनी गई ?मास्टरमाइंड्स ने उगले राज, विदेश तक फैले तारों का खुलासा

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How was the Delhi bombing plot hatched? Masterminds reveal secrets, even foreign-based strategies.

दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे इस आतंकी साजिश के नए और चौंकाने वाले पहलू सामने आ रहे हैं। सूचना के अनुसार पूछताछ में गिरफ्तार मौलवी इरफान अहमद और डॉ. मुजम्मिल शकील ने प्लानिंग से लेकर फंडिंग और हथियार जुटाने तक की पूरी कहानी उजागर कर दी है।

शोपियां का रहने वाला मुफ्ती इरफान अहमद वागे इस मॉड्यूल का अहम कड़ी है, जो अंसार गजावत-उल-हिंद के आतंकी हाफिज मुजम्मिल तांतरी से सीधा संपर्क में था। तांतरी 2021 में सुरक्षाबलों की कार्रवाई में मारा गया था, लेकिन उसके नेटवर्क से जुड़े लोग अब भी सक्रिय थे और इरफान उन्हीं में से एक था।

कश्मीर से दिल्ली तक कैसे बना आतंकी मॉड्यूल?

जांच में सामने आया कि इस आतंकी मॉड्यूल का नेटवर्क कश्मीर में शुरू हुआ और धीरे-धीरे दिल्ली तक फैल गया। शोपियां के रहने वाले मौलवी इरफान अहमद ने सबसे पहले अंसार गजावत-उल-हिंद के सक्रिय सदस्यों से संपर्क बनाए और इसी चैन के जरिए पुलवामा के डॉ. मुजम्मिल शकील तक पहुंचा। मुजम्मिल एक शिक्षित और आर्थिक रूप से मजबूत व्यक्ति था, जिसने अपनी पहचान छिपाते हुए कई संदिग्धों का इलाज किया और नेटवर्क से गहरे जुड़ गया। इन दोनों के साथ आदिल भी जुड़ा, जिसने दिल्ली और हरियाणा में जरूरी सामान, लॉजिस्टिक सपोर्ट और फंड जुटाने में अहम भूमिका निभाई। तीनों ने मिलकर एक संगठित ग्रुप बनाया, जो कश्मीर में विचारधारा और निर्देश लेता था, जबकि विस्फोटक, हथियार और प्लानिंग का बड़ा हिस्सा दिल्ली एनसीआर में तैयार किया जाता था। एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स, सीक्रेट मीटिंग्स और लगातार शहर बदलने की रणनीति ने इस मॉड्यूल को पकड़ से दूर रखा। इस तरह कश्मीर की कट्टरपंथी विचारधारा और दिल्ली की ग्राउंड-लेवल प्लानिंग को जोड़कर एक ऐसा नेटवर्क तैयार किया गया, जो हाई-इंटेंसिटी हमले की क्षमता रखता था।

26 लाख रुपये की फंडिंग, कैसे जुटाया गया पैसा?

पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ। कि आदिल और मुजम्मिल ने मिलकर 26 लाख रुपये जुटाए। यह पैसा नकद में उमर नाम के व्यक्ति को दिया गया। इसी रकम से विस्फोटक बनाने की सामग्री खरीदी गई। डॉ. मुजम्मिल को वीडियो और कट्टर भाषण दिखाकर उकसाया गया था।

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3 लाख रुपये में खरीदा गया तबाही का सामान

उमर ने बिना किसी को बताए फर्टिलाइज़र खरीदा, 26 कुंतल NPK फर्टिलाइज़र, गुरुग्राम, नूंह और हरियाणा से खरीदा गया ।3 लाख रुपये में खरीदा गया तबाही का सामान।

पैसे को लेकर विवाद और हथियारों का हस्तांतरण

छानबीन में पता चला कि मुजम्मिल ने उमर से 26 लाख का हिसाब मांगा , हिसाब न दे पाने पर उमर ने पूरा विस्फोटक जखीरा मुजम्मिल को सौंप दिया। इस आतंकी नेटवर्क के लिए तीन महीने पहले सिग्नल ऐप पर ग्रुप बनाया गया। डॉक्टर शाहीन के पास से मिले हथियार भी उमर ने ही सप्लाई किए थे यह डिजिटल मॉड्यूल सिर्फ मेसेजिंग नहीं, साजिश का मुख्य कमांड सेंटर था।

तुर्की से कनेक्शन विदेश में बैठकर रचा गया ब्लू-प्रिंट

सबसे बड़ा खुलासा यह है कि 2–3 साल पहले डॉ. मुजम्मिल, आदिल और उमर तुर्की गए थे ।वहां इनकी मुलाकात पाकिस्तानी मददगारों से हुई । माना जा रहा है कि वहीं पर इस मॉड्यूल को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिला । भारत सरकार तुर्की से आधिकारिक जानकारी मांगने की तैयारी में है यह बताता है कि दिल्ली ब्लास्ट की साजिश सिर्फ स्थानीय नहीं, बल्कि इंटरनेशनल नेटवर्क से जुड़ी हुई है।

आतंकियों की कहानी में क्या मिला नया?

जांच में सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह सामने आया है कि इस मॉड्यूल में शामिल आरोपी सिर्फ अपराधी पृष्ठभूमि से नहीं, बल्कि पढ़े-लिखे और संगठित तरीके से काम करने वाले लोग थे। इनके नेटवर्क में फंडिंग का एक मजबूत सिस्टम तैयार किया गया था, जिसमें लाखों रुपये इकट्ठे कर हथियार, विस्फोटक और जरूरी सामग्री खरीदी गई। साजिश को अंजाम देने के लिए इन्होंने डिजिटल तकनीक का पूरा इस्तेमाल किया। सीक्रेट चैट ग्रुप बनाए, एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स का सहारा लिया और अलग-अलग शहरों में बिना पहचान उजागर किए लगातार मूवमेंट करते रहे। साथ ही, विदेशी कनेक्शन ने इस केस को और गंभीर बना दिया है। तुर्की में इनकी हुई मुलाकातों ने संकेत दिए कि भारत में होने वाली कार्रवाई की प्लानिंग केवल स्थानीय नहीं थी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क इसका हिस्सा था।

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