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ग्रामोद्योग को मिलेगा डिजिटल मंच, हर घर से जुड़ेगा रोजगार: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि कुटीर और ग्रामोद्योग प्रदेश की आर्थिक रीढ़ हैं और इन्हें डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़कर हर गांव-घर तक रोजगार पहुंचाया जा सकता है। राजधानी स्थित मंत्रालय में आयोजित समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा कि इन पारंपरिक उद्योगों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग को सशक्त बनाना बेहद जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने खासतौर पर महेश्वर, उज्जैन, चंदेरी, भोपाल और ग्वालियर जैसे क्षेत्रों की हस्तशिल्प और हथकरघा कला को वैश्विक पहचान दिलाने की बात कही। उन्होंने निर्देश दिए कि इन क्षेत्रों के उत्पादों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया जाए और इसके लिए प्रशिक्षण, मार्केट लिंक और पेशेवर प्रस्तुतीकरण की कार्ययोजना तैयार की जाए।


🌿 आत्मनिर्भर ग्राम: नीति बदलेगी, लोगों को मिलेगा सीधा फायदा

डॉ. यादव ने साफ कहा कि अब विभाग खुद उत्पादन करने के बजाय निजी और स्थानीय इकाइयों को प्रोत्साहित करेगा, जिससे गांव-गांव में उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।


🐝 शहद, मूर्तिकला और पूजा सामग्री में भी मिलेगा रोजगार

मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि मधुमक्खी पालन, शहद उत्पादन, धातु, लकड़ी और मिट्टी की मूर्तियाँ, और भगवान के वस्त्रों जैसी सामग्रियों के निर्माण को भी ग्रामोद्योग से जोड़ा जाए। इससे स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे, खासकर धार्मिक स्थलों के पास।


👑 मां अहिल्या देवी पर आधारित होगी नई साड़ियों की श्रृंखला

माँ अहिल्या देवी की 300वीं जयंती के अवसर पर महेश्वर किले के डिजाइनों और पैटर्नों पर आधारित विशेष साड़ियों का संग्रह शुरू किया जाएगा। यह संग्रह “माँ अहिल्या देवी” के नाम पर लॉन्च किया जाएगा।


🧵 रेशम को मिलेगा फैशन टच, बुरहानपुर और पचमढ़ी से फिर उभरेगी खादी

  • बुरहानपुर में खादी और रेशम की परंपरा को फिर जीवित किया जा रहा है। वहाँ 10 लूम और 50 चरखे लगाए जाएंगे, जिससे 100 लोगों को रोजगार मिलेगा।

  • पचमढ़ी में सिल्क टेक पार्क का उद्घाटन हो चुका है, जहाँ चारों प्रकार के रेशम (मलबरी, टसर, एरी, मुंगा) का उत्पादन हो रहा है।

  • इंदौर और मुंबई में फैशन टेक्नोलॉजी छात्रों के साथ फैशन शो भी कराए गए हैं, जिससे रेशम को मॉडर्न फैशन से जोड़ा जा सके।


🌍 वैश्विक पहचान की ओर बढ़ता मध्यप्रदेश

इन पहलों से प्रदेश के कारीगरों का आर्थिक सशक्तिकरण होगा और रेशम उत्पादों को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान मिलेगी। साथ ही ग्रामोद्योग को नया जीवन और रोजगार को नई राह मिलेगी।

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