उत्तर भारत में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश का असर अब मैदानी इलाकों में साफ दिखाई दे रहा है. धार्मिक नगरी काशी में मां गंगा उफान पर हैं, जिसके चलते वाराणसी के प्रसिद्ध 84 घाटों में पानी भर गया है. कई घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं, और घाटों के किनारे बने मंदिरों में भी पानी घुस गया है. खासतौर पर अस्सी घाट, जो पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा है, पूरी तरह डूब चुका है. यहां हर सुबह होने वाला ‘सुबहे बनारस’ का मंच भी गंगा की लहरों में समा गया है.
स्थानीय प्रशासन ने लोगों को दी ये चेतावनी
स्थानीय प्रशासन ने गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए लोगों को गहरे पानी में न जाने की चेतावनी दी है. घाटों पर लगातार मुनादी की जा रही है और छोटी-बड़ी सभी नौकाओं के संचालन पर रोक लगा दी गई है. गंगा का जलस्तर वर्तमान में 68.94 मीटर पर पहुंच चुका है, जो चेतावनी निशान 70.262 मीटर के करीब है. खतरे का निशान 71.262 मीटर है, और जलस्तर 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है. अगर ये रफ्तार बरकरार रही, तो आने वाले दिनों में निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति बन सकती है, जिससे स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
गंगा आरती की संख्या घटी
स्थानीय निवासी राकेश पांडेय के मुताबिक, “पानी में बढ़ोतरी तो हुई है, लेकिन फिलहाल स्थिर है. कोई नहीं बता सकता कि पानी बढ़ेगा या घटेगा. पर्यटकों का आना-जाना कम हो गया है. लोग घाटों पर नहीं आ रहे, बस दूर से नजारा देखकर चले जा रहे हैं.” उन्होंने यह भी बताया कि गंगा आरती की संख्या भी कम हो रही है. पहले 6 आरती होती थीं, फिर 3, और अब 1 या 2 ही हो रही हैं.