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राजा-रानी, राजकुमार और राजकुमारी के भविष्य का होगा निर्णय, क्या इन सीटों पर जारी रहेगी राजशाही परंपरा ?

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विधानसभा चुनाव 2023: इस बार रियासतदारों की सियासत दांव पर लगी हुई है| जो पहले रियासत के रूप में थे,जिसे राजा-महाराजा और रानियां संभालती थीं। जब देश आजाद हुआ, तो राजा-महाराजा और उनके परिवार के सदस्य भी राजनीति में आ गए, और उनका प्रभाव यहां भी बना रहा। इस चुनाव में, राजपरिवार के छह सदस्य भी चुनावी मैदान में हैं। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में शाही परिवारों के चुनावी परिदृश्य पर एक नजर

डिजिटल डेस्क : आजादी से पहले राज्‍य नहीं, रियासत हुआ करती थी, जिनकी शासन व्यवस्था राजा-महाराजा और रानियां संभालती थीं। देश आजाद हुआ तो राजा-महाराजा और उनके परिवार के सदस्य भी राजनीति में आ गए। यहां भी उनका दबदबा कायम रहा। जब राजा-महाराजा नहीं रहे तो उनके बच्‍चों ने इस विरासत को संभाला। इस साल के विधानसभा चुनाव में भी राजपरिवार के छह सदस्‍य चुनावी मैदान में हैं।

वसुंधरा राजे: धौलपुर की महारानी
राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी भाजपा नेता वसुंधरा राजे का नाता शाही परिवार से है। वह ग्‍वालियर की राजकुमारी हैं। राजस्थान के धौलपुर के राजा हेमंत सिंह से उनकी शादी हुई थी। वसुंधरा की मां विजयाराजे सिंधिया जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शामिल थीं, जो कि भाजपा की मूल पार्टी थी। वसुंधरा ने पहली बार साल 1985 में धौलपुर से विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्होंने करीब 23 हजार वोटों से जीत दर्ज की। 1993 में वह धौलपुर से हार गईं। साल 2003 से लगातार झालावाड़ के झालरापाटन विधानसभा सीट से चुनाव जीतती आ रही हैं। इसी सीट से जीतकर वह दो बार सूबे की मुखिया भी बन चुकी हैं। इस बार भी वह झालरापाटन विधानसभा सीट से ही चुनाव मैदान में हैं।

दीया कुमारी: जयपुर की राजकुमारी
जयपुर की राजकुमारी दीया गायत्री देवी के दत्तक पुत्र महाराजा सवाई सिंह और महारानी पद्मिनी देवी की बेटी हैं। दीया कुमारी ने 10 साल पहले राजनीति में कदम रखा। साल 2013 में सवाई माधोपुर से विधायक चुनी गईं। साल 2019 में राजसमंद से लोकसभा चुनाव जीता था। इस बार दीया जयपुर की विद्याधर नगर विधानसभा सीट चुनाव मैदान में हैं। चर्चा है कि अगर भाजपा चुनाव जीतती है तो दीया मुख्यमंत्री पद की दावेदार भी हो सकती हैं।

सिद्धि कुमारी: बीकानेर की राजकुमारी
पूर्व सांसद और बीकानेर के महाराजा करणी सिंह बहादुर की पोती सिद्धि कुमारी साल 2008 से लगातार बीकानेर पूर्व सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतती आ रही हैं। इस सीट से भाजपा ने चौथी बार भी सिद्धि कुमारी को ही टिकट दिया है।

कल्पना देवी: कोटा की महारानी
कोटा के महाराज इज्यराज सिंह की पत्नी कल्पना देवी लाडपुरा सीट से मौजूदा विधायक हैं और इस बार भी भाजपा ने कल्पना देवी पर ही दांव लगाया है। साल 2018 में कल्पना देवी ने भाजपा के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा था और एक लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी।

विश्वराज सिंह मेवाड़: उदयपुर के राजकुमार
महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ भी नाथद्वारा सीट से भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। विश्वराज सिंह के पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ भी साल 1989 में चित्तौड़गढ़ से भाजपा सांसद रहे। बता दें कि 17 अक्टूबर को दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष चंद्र प्रकाश जोशी और राजसमंद सांसद दीया कुमारी की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए।

विश्वेंद्र सिंह: भरतपुर के राजा
भरतपुर के अंतिम शासक बृजेंद्र सिंह के बेटे विश्वेंद्र सिंह साल 1999 और 2004 तक भाजपा के टिकट पर तीन बार सांसद चुने गए। भाजपा सरकार में दो बार केंद्रीय मंत्री भी रहे। साल 2008 में वह भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए| 2013 और 2018 में, कांग्रेस से लगातार चुनाव जीतकर अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने गहलोत सरकार में भी मंत्री का कार्य निभाया है। 2018 में, भाजपा उम्मीदवार डॉ. शैलेष सिंह के खिलाफ चुनाव में जीत हासिल की थी। इस बार फिर से, कांग्रेस के टिकट पर उम्मीदवार मैदान में हैं।

Edited By : Vijay Pandey

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