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देश की तकदीर और तस्वीर बदलते युवा

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भारत की पावन धरा से निकले युवाओं ने विश्व में अपना परचम लहराया है। भारतवर्ष की धरती के कण-कण में देश प्रेम भरा है। देश की गौरवशाली परंपरा, प्रेम, सद्भाव, एकता और सहयोग का विश्व में डंका बज रहा है। युवा शक्ति की प्रतिभा का दुनिया लोहा मान रही है। भविष्य में भारत ही विश्व को दिशा प्रदान करने वाला देश होगा और यह सब संभव होगा युवा शक्ति की सोच और उसके दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर। क्योंकि सदियों से ही देश के युवाओं ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता को विश्व में स्थापित करने का काम किया है। राष्ट्रीय युवा दिवस पर मौजूदा परिवेश में समझिये स्वामी विवेकानंद का जीवन मूल्य।

– राष्ट्रीय युवा दिवस आज : डॉ. केशव पाण्डेय

—- 12 जनवरी को युग प्रवर्तक, ओजस्वी विचारक और युवाओं के प्रेरणास्त्रोत “स्वामी विवेकानंद” की पावन जयंती को प्रति वर्ष “राष्ट्रीय युवा दिवस” के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति को विश्व में स्थापित करने वाले महान आध्यात्मिक गुरु, समाज सुधारक और युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत स्वामी विवेकानंदजी की जयंती देश में अपना महत्व रखती है। विवेकानंद जी ने कहा था कि देश का भविष्य पूर्णतः उस देश के युवाओं के सुविचारों और सुदृढ़ कंधो पर निर्भर करता है। उन्हीं से होकर ही किसी देश का विकास क्रम आगे बढ़ता है। देश के युवा जिस आचरण के होंगे, देश भी उसी का अनुगमन करेगा। अतः समयानुसार देश के युवाओं का सही मार्गदर्शन जरूरी है। उन्हीं के आचरण को युवाओं के जीवन में उतारने के लिए 1984 में भारत सरकार द्वारा स्वामी विवेकानंद जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी। 1985 से हर साल इसे मनाया जा रहा है। इस बार 40वां उत्सव है। इस युवा दिवस का उद्देश्य स्वामी विवेकानंद के विचार और आदर्शों के महत्व को बढ़ावा देना है। हर वर्ष यह दिवस एक विशेष थीम पर मनाया जाता है। युवा दिवस राष्ट्र के ऐसे युवाओं को समर्पित है, जो भारत को बेहतर भविष्य देने की क्षमता रखते हैं और इसके लिए कार्य करते हैं।
वर्ष 2024 में राष्ट्रीय युवा दिवस की थीम “इट्स ऑल इन द माइंड“ यानी सब कुछ आपके दिमाग में है रखी गई है। सरल भाषा में कहा जाए तो यदि किसी युवा ने कुछ करने की ठान ली है तो फिर पूरा करने से उसे कोई रोक नहीं सकता।
12 जनवरी 1863 में कलकत्ता में जन्में नरेंद्र दत्त 25 साल की उम्र में ही सांसारिक मोह माया को त्याग कर सन्यास धारण कर स्वामी विवेकानंद बने। वे वेदांत के विख्यात और प्रभावी आध्यात्मिक गुरु थे।
स्वामी विवेकानंद के विचार, दर्शन और अध्यापन भारत की महान सांस्कृतिक और पारंपरिक संपत्ति हैं। उनका दर्शन, जीवन, कार्य एवं उनके आदर्श भारतीय युवकों के लिए प्रेरणास्त्रोत रहे हैं। स्वामीजी एक महान इंसान ही नहीं, वरन एक युग पुरूष थे, जिन्होंने हमेशा देश की ऐतिहासिक परंपरा को सुदृढ़ बनाने और सही नेतृत्व करने के लिए युवा शक्ति पर विश्वास किया।
उनका मानना था कि भारत को विकासित राष्ट्र बनाने के लिए युवाओं की अनन्त ऊर्जा को जागृत कर उन्हे विभिन्न कार्य क्षेत्रों में प्रयोग कर सफलता प्राप्त करने के लिए एक निश्चित चुनौती का पीछा करना अनिवार्य है। जो उन्हें निरंतर सफलता के मार्ग की ओर अग्रसर करती रहेगी।
क्योंकि युवाओं का देश कहे जाने वाले भारत में युवा शब्द से ही उत्साह, स्फूर्ति और सक्रियता जैसे गुणों का बोध होता है। उन्हांने शारीरिक बल नहीं बल्कि मानसिक बल को युवा शक्ति का केन्द्र माना। उनका मानना था कि युवा होने की परिपूर्णता उसमें है, जिसमें बिना रुके और बिना थके संघर्ष करने का जज्बा हो। उन्होंने युवाओं के दिल में अपने कार्य करने के लिए जो आग फूंकी वो आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।
हिंदू धर्म की विचारधाराओं को पुनर्जीवित करने के साथ ही औपनिवेशिक ब्रिटिश शासन के दौरान देश में राष्ट्रवादी उत्साह पैदा किया। इससे वे दुनिया भर में लोकप्रिय हुए।
स्वामी विवेकानंद को धर्म, दर्शन, इतिहास, कला, सामाजिक विज्ञान और साहित्य का ज्ञाता कहा जाता है। शिक्षा के साथ ही वे भारतीय शास्त्रीय संगीत का भी ज्ञान रखते थे। उनके विचार और कार्य आज के समय में भी युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने युवाओं को खुद पर विश्वास करना सिखाया। क्योंकि जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
11 सितंबर 1893 में अमेरिका में आयेजित धर्म संसद में विवेकानंद ने भाषण देते हुए हिंदी में कहा अमेरिका के भाइयों और बहनों… उनके यह कहते ही आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो में पूरे दो मिनट तक तालियां बजती रहीं। इसे भारत के इतिहास में गर्व और सम्मान की घटना के तौर पर जाना जाता है। देश का हर युवा स्वामी विवेकानंद के दार्शनिक विचारों व भाषणों को सुनने के बाद प्रभावित हुए बगैर नहीं रह सकता है। उन्होंने भारत को विश्व मंच से अपने भाषणों के द्वारा गौरान्वित किया था। आध्यात्म चिंतन, देशप्रेम को सही अर्थों में समझाया। उन्होंने कहा था कि भारत युवाओं का देश है और इस देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत स्वामी जी के अलावा और कोई नहीं हो सकता है।
युवा वह है, जो देश का भविष्य बदलने की क्षमता रखता है। जिसके अंदर नेतृत्व करने की क्षमता हो, लोगों को सही मार्ग पर लाने का काम करने वाला ही युवा कहलाता है। स्वामी जी कहते थे युवा वो होता है, जो बिना अतीत की चिंता किए अपने भविष्य के लक्ष्यों की दिशा में काम करता है। हर इंसान को कभी न कभी अकेले ही शुरूआत करनी होती है, इसलिए किसी भी काम को करने से घबराना नहीं चाहिए। अगर आपकी नीयत साफ, इरादे स्पष्ट और हांसले बुलंद हैं, तो आपके साथ अपने आप ही लोग जुड़ने लगते हैं। युवा जब ठान लेता है, तो कुछ भी कर सकता है। ऊर्जा से भरा युवा देश के हर कोने में मौजूद है। कोई पहाड़ों से निकलने वाले छोटे झरनों से बिजली बना रहा है, कोई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल दुनिया का सबसे ऊॅचा रेलवे पुल बनाकर इतिहास रच रहा है। अपनी ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग करके लोगों का भला करने में जुटा है, इसी तरह हमारा देश प्रगती की राह पर अग्रसर हो रहा है। स्वामी जी ने सामाजिक, जाति-पाति से मुक्त राष्ट्र प्रेम का मार्ग दिखाया। स्वामी विवेकानंद को भारत का राष्ट्रीय संत कहा जाता है।उनके विचारों से भविष्य में एक भारत-श्रेष्ठ भारत का निर्माण किया जा सके। उनके द्वारा कहा गया एक वाक्य- उठो जागो और तब तक रुको नहीं जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता। आज भी हमारे लिए प्रेरणादायक है। उक्त वाक्य से सिद्ध होता है कि राष्ट्रीय युवा दिवस केवल एक पर्व नही बल्कि देश के युवाओं एवं बच्चों में प्रतिस्पर्धात्मक सोच का विकास कर उनमें अपनी लक्ष्य प्राप्ति की ऊर्जा भर देना है। यही वजह है कि आज का युवा विवेकानंदजी के विचारों से प्रेरित होकर अपने दृढ़ संकल्प से राष्ट्र को नई ऊॅचाईयों पर ले जाकर देश की तकदीर और तस्वीर बदलने में लगे लगा हुआ है।

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