Sandhya Samachar

आर्थिक मंदी: भारत के लिए चुनौती भी, मौका भी

98 views

✍️ डॉ. केशव पाण्डेय

दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई आर्थिक नीति ने वैश्विक बाजार में उथल-पुथल मचा दी है। अमेरिका, यूरोप और एशिया के शेयर बाजार गिर गए हैं और टैरिफ वॉर (शुल्क युद्ध) की वजह से व्यापार जगत में भारी अनिश्चितता छा गई है।

अमेरिका बनाम चीन: टैरिफ युद्ध का असर

राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी हितों को प्राथमिकता देते हुए 75 देशों पर टैरिफ लगाने की योजना बनाई थी, जिसे अब 90 दिन के लिए टाल दिया गया है। चीन ने इसका खुलकर विरोध किया, जिसके जवाब में अमेरिका ने 145% टैक्स थोप दिया। नतीजतन, आज दुनिया दो हिस्सों में बंटी दिख रही है—एक तरफ अमेरिका, दूसरी तरफ चीन।

भारत की स्थिति: खतरा या अवसर?

इस सवाल पर हर कोई सोच रहा है—अगर वैश्विक मंदी आती है तो भारत पर क्या असर पड़ेगा? क्या यह भारत के लिए चुनौती होगी या एक नया मौका?

सोने में निवेश का चलन बढ़ा

बाजार में गिरावट के चलते निवेशकों ने सोने को सुरक्षित विकल्प माना है। जब भी आर्थिक अनिश्चितता बढ़ती है—जैसे मंदी, महंगाई या अंतरराष्ट्रीय तनाव—तब लोग सोना, चांदी और अन्य कीमती धातुओं में निवेश करते हैं। यह एक स्थायी संपत्ति है जो महंगाई और अस्थिरता के समय भी भरोसेमंद रहती है।


कृषि क्षेत्र: भारत की असली ताकत

भारत की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था इस चुनौती को अवसर में बदल सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से भारतीय कृषि निर्यातकों, खासकर कपास उत्पादकों को कुछ फायदा मिल सकता है।
हालांकि, यदि अमेरिका अपनी अप्रयुक्त वस्तुएं भारत में खपाने लगे, तो इससे भारतीय किसानों पर दबाव बढ़ सकता है।

उदाहरण के लिए, चीन ने अमेरिका से आयातित कृषि उत्पादों—चिकन, गेहूं, सोयाबीन आदि—पर शुल्क बढ़ा दिए हैं। जबकि भारत से चीन को सबसे ज्यादा कपास का निर्यात होता है, जिसका फायदा भारत को मिल सकता है।
लेकिन भारत में सोयाबीन का उत्पादन सीमित है और गेहूं के निर्यात पर सरकार ने फिलहाल रोक लगा रखी है।


भारत की वैश्विक हिस्सेदारी

आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन वैश्विक निर्यात में इसकी भागीदारी अब भी 2% से कम है।
भारत के उच्च टैरिफ और संरक्षणवादी नीतियाँ वैश्विक प्रतिस्पर्धा में इसे पीछे कर रही हैं। हालांकि, घरेलू बाजार ने इसकी अर्थव्यवस्था को स्थिर रखा है।

“आत्मनिर्भर भारत” जैसी पहलें थोड़े समय के लिए भारत की ढाल जरूर बन सकती हैं, लेकिन लंबे समय के लिए भारत को वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी ही होगी।


निष्कर्ष

अर्थव्यवस्था में आई वैश्विक उथल-पुथल भारत के लिए एक परीक्षा की घड़ी है। यह उतना ही बड़ा मौका भी है, अगर सही रणनीतियों के साथ आगे बढ़ा जाए। भारत को अपने कृषि उत्पादों, घरेलू उद्योगों और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को संतुलित करते हुए आगे बढ़ना होगा, तभी हम इस आर्थिक तूफान को पार कर पाएंगे।

Leave a Comment

मौसम का मिज़ाज़

India, IN
few clouds
34%
3.2km/h
17%
33°C
33°
33°
32°
Fri
29°
Sat
29°
Sun
28°
Mon
27°
Tue

About Us

हमारी वेबसाइट का प्रमुख उद्देश्य सार्वजनिक रूप से जानकारी प्रदान करना है, और हम आपको विभिन्न विषयों पर लेख और समाचार प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं।

Contact Info

Address:

Sandhya Samachar, In front of Hotel Shelter, Padav, Gwalior. 474002

Email:

info@oldsamachar.nezovix.in

Contact Number:

+91 94251 11819

© Copyright 2023 :- Sandhya Samachar, All Rights Reserved. Designed and Developed by Web Mytech