“भारत-पाक के बीच परमाणु युद्ध मैंने रोका, लेकिन श्रेय नहीं मिला”
वॉशिंगटन। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित परमाणु युद्ध को रोकने में निर्णायक भूमिका निभाई थी। ट्रंप का कहना है कि उन्होंने उस समय व्यापार और कूटनीति के माध्यम से तनाव कम किया, लेकिन इसके लिए उन्हें कभी क्रेडिट नहीं मिला।
🧨 “स्थिति न्यूक्लियर वॉर तक पहुंच चुकी थी” – ट्रंप
फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में ट्रंप ने कहा:
“हालात इतने गंभीर हो गए थे कि अगला कदम सिर्फ ‘एन वर्ड’ यानी न्यूक्लियर वॉर था। भारत और पाकिस्तान की स्थिति विस्फोट के मुहाने पर थी।”
उन्होंने आगे जोड़ा कि उनकी विदेश नीति की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक यही थी कि उन्होंने इन दोनों परमाणु संपन्न देशों को युद्ध के कगार से वापस खींचा, लेकिन इस ऐतिहासिक योगदान का उन्हें कोई उचित श्रेय नहीं मिला।
🤝 “बिजनेस से शांति की पहल” – ट्रंप की कूटनीतिक रणनीति
ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के सामने व्यापारिक प्रस्ताव रखकर शांति वार्ता की नींव रखी।
“मैं व्यापार को शांति का माध्यम मानता हूं। मैंने व्यापार का इस्तेमाल तनाव को कम करने और स्थायी समाधान की दिशा में किया।”
🗓️ 7 दिन, 6 बयान – हर दिन नया रुख
ट्रंप ने सिर्फ एक हफ्ते में 6 बार भारत-पाक संबंधों पर बयान दिए, जिनमें कई एक-दूसरे से विरोधाभासी रहे:
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10 मई: “भारत-पाकिस्तान सीजफायर के लिए तैयार हो गए हैं। दोनों देशों को समझदारी भरे फैसले के लिए बधाई।”
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11 मई: “कश्मीर समस्या के समाधान की कोशिश करूंगा। दोनों देशों की नेतृत्व क्षमता को सलाम।”
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12 मई: “मैंने भारत-पाक परमाणु युद्ध रोका। अमेरिका की बड़ी भूमिका रही।”
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13 मई: “सीजफायर में व्यापार को कूटनीति का हथियार बनाया। मेरा सपना है विश्व शांति।”
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15 मई: “मैंने सीजफायर नहीं कराया, लेकिन मदद जरूर की। श्रेय का दावा नहीं करता।”
🌐 कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं
ट्रंप के इन बयानों पर भारत या पाकिस्तान की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन उनकी टिप्पणियों ने एक बार फिर उनकी विदेश नीति की शैली और विश्व मामलों में भूमिका को लेकर बहस को जन्म दे दिया है।
🔍 क्या यह प्रचार या सच?
विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप के ये दावे 2024 की अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं, जिसमें वह “शांति लाने वाले राष्ट्रपति” की छवि प्रस्तुत करना चाहते हैं। हालांकि, कई विश्लेषकों का मानना है कि उस दौरान भारत-पाक के बीच तनाव जरूर था, लेकिन ट्रंप की भूमिका कितनी निर्णायक थी, यह स्पष्ट नहीं है।