सार
हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब उनसे पूछा गया कि क्या कांग्रेस के नए अध्यक्ष को गांधी परिवार द्वारा रिमोट से चलाया जाएगा, तो उन्होंने कहा कि यह पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे लोगों का अपमान है।
विस्तार
अधिकांश राजनेता अंततः विरोधाभासों की पोटली बन जाते हैं और राहुल गांधी अपवाद नहीं हैं। देश की सभी राजनीतिक पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र एक समस्या है, लेकिन कांग्रेस का वंशवादी शासन सबसे ज्यादा स्पष्ट और पौराणिक है। यहां तक कि जब पार्टी एक गैर-गांधी नए पार्टी अध्यक्ष को लाने के लिए तैयार है, सबकी निगाहें राहुल गांधी पर लगी हैं कि क्या वह जरूरी बदलाव करेंगे या यथास्थितिवादी बने रहेंगे। एक बड़ा सवाल 88वें पार्टी अध्यक्ष के कामकाज के दायरे और स्वतंत्रता को लेकर है, जो लगातार अटकलों और पूर्वाग्रहों का विषय है। पूर्वाग्रह अकारण नहीं है। गांधी परिवार के
तीन व्यक्ति संगठन में प्रभावी हैं-सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा, जो क्रमश पार्टी अध्यक्ष, पूर्व पार्टी अध्यक्ष और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव के रूप में सक्रिय हैं।
इस बात की पूरी आशंका है कि नए कांग्रेस अध्यक्ष को कांग्रेस कार्यसमिति की सभी बैठकों में इन तीनों का सामना करना पड़ेगा। नीति निर्माण, नियुक्तियों तथा विवादास्पद राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक मुद्दों पर फैसला लेने में नए पार्टी अध्यक्ष और गांधी परिवार के सदस्यों के बीच क्या समीकरण होंगे? इन सबके बीच, जाहिर है, राहुल गांधी पर सबकी नजर है, क्योंकि उन्हें सामने से नेतृत्व करने वाले व्यक्ति के रूप में देखा जाता है–चाहे वह भारत जोड़ो यात्रा हो या अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में शीर्ष स्तर पर हुई नियुक्तियां हों या राज्य पार्टी इकाइयां हों, जहां टीम राहुल कार्यरत है।