— दत्तोपंत ठेंगड़ी संस्थान के भूमि पूजन समारोह में मोहन यादव ने कहा कि भारत वैश्विक भूमिका निर्वहन प्राचीन ज्ञान परंपरा के आधार पर ही करेगा
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि ऋषि स्वरूप व्यक्तित्व के श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी ने दीपक के समान स्वयं जलकर विचारों का प्रकाश समाज को प्रदान किया। कृषि, श्रमिकों की स्थिति और स्वदेशी के क्षेत्र में उनका विचार उज्जवल नक्षत्र के समान हैं, जो समाज को निरंतर मार्गदर्शन प्रदान करते रहेंगे। विद्यार्थी परिषद के संस्थापक सदस्य के रूप में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। वे हिंदुत्व को राष्ट्रीयता से आगे विश्व बंधुत्व के रूप में देखते थे।
मुख्यमंत्री यादव दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के नवीन परिसर भवन के भूमि-पूजन और कार्य आरंभ के अवसर पर संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में विचारक एवं लेखक सुरेश सोनी सारस्वत अतिथि के रूप में उपस्थित थे। स्मारिका ’संकेत रेखा’ का हुआ विमोचन
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान की वार्षिक स्मारिका ’संकेत रेखा’ का विमोचन किया। इसके साथ ही संस्थान द्वारा 1 से 3 मार्च 2025 तक आयोजित नेशनल रिसर्चर्स मीट के पोस्टर का भी विमोचन किया।
समाजहित में ऊर्जा जरूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से भारत में विद्यमान गुरूकुल और विश्वविद्यालय भारतीय समाज के ज्ञान सामर्थ्य को अभिव्यक्त करते हैं। जीवन के प्रत्येक पल का उपयोग व्यक्ति समाज हित में कर पाए, यही भारतीय संस्कृति के अनुसार, जीते जी मोक्ष प्राप्ति की भावना है। भारतीय विचार, व्यक्ति को संघर्ष के स्थान पर प्रेम और बंधुत्व के लिए प्रेरित करते हैं।
जनजातीय समाज सहित भारतीयता के विभिन्न पहलुओं पर समग्रता में शोध के लिए दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान जैसी पहल की अत्यधिक आवश्यकता है। ठेंगड़ी शोध संस्थान का भूमि-पूजन ज्ञान की ऊर्जा और सामर्थ्य का उपयोग समाज हित में करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
समानता और उपभोग में संयम
विचारक एवं लेखक सुरेश सोनी ने कहा कि श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी जी भारतीय ऋषि प्रज्ञा की अभिव्यक्ति थे। जीवन के सभी क्षेत्रों में भारतीय दर्शन को केन्द्र में रखना उनकी विशेषता थी। व्यक्तिगत जीवन से लेकर विश्व शांति के विषय उनके विचारों की परिधि में थे। विस्मरण और सही जानकारियां न होना भारतीय अकादमिक जगत की समस्या है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों के अनुसार उत्पादन में प्रचुरता, वितरण में समानता और उपभोग में संयम के त्रिसूत्र के आधार पर समाज और राष्ट्र का निर्माण करना होगा। इस उद्देश्य से शोध को दिशा देने की आवश्यकता है।
प्रदेश बनेगा मौलिक शोध का केंद्र
सोनी ने कहा कि प्रकृति में जितना महत्व मनुष्य का है, उतना ही जीव जगत, वनस्पति, पर्वत और जल संरचनाओं आदि का भी है। प्रकृति के संधारण और सभी के हितों के संरक्षण में उसका दायित्व भी उतना अधिक है। इस दृष्टि से प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में मनुष्य का दायित्व बहुत अधिक बढ़ जाता है, यही भारतीय दृष्टि से देखने की प्रक्रिया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान इस भारतीय मूल दृष्टि से बहु आयामी शोध गतिविधियों का विस्तार करेगा और मध्यप्रदेश, सम्पूर्ण देश में मौलिक शोध का प्रमुख केन्द्र बनेगा।
ठेंगड़ी ने विचार क्रांति का प्रवाह किया
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि ठेंगड़ी ने भारत केन्द्रित विचार क्रांति का प्रवाह किया। उनके किसानों, श्रमिकों के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में किए गए योगदान का भारतीय ज्ञान परम्परा को समृद्ध करने में विशेष योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में प्रदेश की शोध संस्थाएं भारतीय परम्पराओं में निहित वैज्ञानिक दृष्टिकोण को सामने लाने में सहायक होंगी। शोध के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों से नए आयाम स्थापित होंगे तथा प्रदेश में शोध का बेहतर वातावरण भी निर्मित होगा।
दत्तोपंत ठेंगड़ी संस्थान के अध्यक्ष अशोक पाण्डेय ने कहा कि ठेंगड़ी का व्यक्तित्व राष्ट्र धारा में परिष्कृत और परिमार्जित था। वे अपने विचारों से अंधकार पर प्रकाश, विपन्नता पर समृद्धि और अज्ञानता पर ज्ञान की विजय के लिए समाज को निरंतर प्रेरित करते रहे। कार्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा अकादमिक संस्थाओं के पदाधिकारी, विषय-विशेषज्ञ तथा शोधार्थी शामिल हुए।
Postedby: विजय पाण्डेय
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