CJI बी.आर. गवई के बयान पर मचा बवाल: खजुराहो मंदिर के संदर्भ में कही बात पर कोर्ट में हंगामा, जूता फेंकने की कोशिश

Picture of By: Sandhya Samachar Team

By: Sandhya Samachar Team

Share

CJI बी.आर. गवई के बयान पर मचा बवाल: खजुराहो मंदिर के संदर्भ में कही बात पर कोर्ट में हंगामा, जूता फेंकने की कोशिश

CJI गवई की टिप्पणी से छिड़ा विवाद

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई के एक बयान ने देशभर में विवाद खड़ा कर दिया है। मामला खजुराहो के प्रसिद्ध शिव मंदिर से जुड़ा है। दरअसल, एक सुनवाई के दौरान CJI गवई ने कहा था कि “खजुराहो में शिव का एक बहुत बड़ा लिंग है, और यदि याचिकाकर्ता शैव धर्म के विरोधी नहीं हैं, तो वे वहां जाकर पूजा कर सकते हैं।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर याचिका प्रचार के लिए नहीं है, तो “वे भगवान से ही प्रार्थना करें।”

उनकी इस टिप्पणी पर सोशल मीडिया पर जबरदस्त बवाल मच गया। कई लोगों ने इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर आलोचना की, जिसके बाद CJI गवई ने स्पष्ट किया कि वह सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने की कोशिश, अफरातफरी का माहौल

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अचानक हड़कंप मच गया जब एक वकील ने CJI गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की। मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इस हमले को रोक लिया।

Also Read

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, वकील ने “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे” का नारा लगाते हुए यह हरकत की थी। घटना के दौरान CJI गवई पूरी तरह शांत रहे और अदालत की कार्यवाही जारी रखने का निर्देश दिया।

उन्होंने कहा, “इस तरह की घटनाओं से मुझ पर कोई असर नहीं पड़ता। अदालत अपना काम करती रहेगी।”

खजुराहो मंदिर: इतिहास, आस्था और अद्भुत शिल्प का संगम

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो मंदिर समूह भारत की प्राचीनतम वास्तु धरोहरों में से एक है।

इन मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश के राजाओं ने 950 से 1050 ईस्वी के बीच कराया था। “खजुराहो” शब्द “खजूरवाहक” से बना है, जिसका अर्थ है खजूर के वृक्षों से घिरा स्थान। कभी यहां 85 मंदिर थे, जिनमें से आज केवल 22 मंदिर शेष हैं।

ये मंदिर हिंदू और जैन धर्म दोनों से संबंधित हैं — जो चंदेल राजाओं की धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक हैं। खजुराहो की मूर्तियां केवल शारीरिक आकर्षण का प्रदर्शन नहीं करतीं, बल्कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष — इन चार पुरुषार्थों का संतुलन दर्शाती हैं। यहीं से भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गहराई का संदेश मिलता है।

Top Stories
Related Post