मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड और मुंबई की मेसर्स सावनी हेरिटेज कंजर्वेशन प्राइवेट लिमिटेड के बीच बुधवार को एक महत्वपूर्ण अनुबंध हुआ। इस अनुबंध के माध्यम से जिला सतना में मां मंदाकिनी नदी के तट पर चित्रकूट में विभिन्न विकास कार्य एवं सौंदर्यीकरण के कार्य होंगे, जिससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों को विश्व स्तरीय विधाएं उपलब्ध होंगी। प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति तथा प्रबंध संचालक, मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड श्री शिव शेखर शुक्ला के मार्गदर्शन और अपर प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड सुश्री बिदिशा मुखर्जी की अध्यक्षता में संयुक्त संचालक श्री प्रशांत सिंह बघेल और मेसर्स सावनी हेरिटेज कंजर्वेशन प्राइवेट लिमिटेड मुंबई की ओर से श्री जीतेश कुमार ने इस अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। इस प्रोजेक्ट के लिए मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड की प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट सुश्री शिल्पा शर्मा और मेसर्स आईपीई ग्लोबल के सीनियर आर्किटेक्ट निल्विन राफेल ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अपर प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड सुश्री बिदिशा मुखर्जी ने बताया कि चित्रकूट में कलेक्टर की अध्यक्षता में Destination Management Committee का गठन किया जा चुका है और भविष्य में एक Destination Management Organization की स्थापना की जाएगी, जो योजना, प्रचार-प्रसार एवं संचालन के कार्यों का उत्तरदायित्व निभाएगी। इस अनुबंध के माध्यम से चित्रकूट में मंदाकिनी तट पर राघव घाट, भरत घाट एवं विश्राम घाट का उन्नयन, सौंदर्यीकरण एवं सात्विक रसोई, प्रवेश द्वार, साईनेज बोर्ड, टायलेट, सुवेनियर शॉप, वीडियो एलईडी वॉल, टाइमलाइन वॉल, स्कल्पचर गार्डन, नियंत्रण कक्ष, प्रोजेक्शन मैपिंग और साइट डेवलपमेंट आदि कार्य होंगे।
स्वदेश दर्शन 2.0 योजना के अंतर्गत प्रोजेक्ट को मिली स्वीकृति
पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार की स्वदेश दर्शन 2.0 योजनांतर्गत प्रोजेक्ट के तहत चित्रकूट में आध्यात्मिक घाट अनुभव की स्वीकृति प्राप्त हुई थी। मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड द्वारा उक्त प्रोजेक्ट के पीपीपी मोड में क्रियान्वयन एवं 9 वर्षों के संचालन एवं रख–रखाव हेतु निविदाएं जारी की गई थीं। परियोजना के क्रियान्वयन की विशेषता यह है कि निविदा कर्ता को परियोजना के निर्धारित कम्पोनेंटस के अतिरिक्त स्वयं के व्यय पर पर्यटन बोर्ड, डेस्टिनेशन मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष व कलेक्टर की अनुमति के बाद अन्य विशिष्ट अनुभव विकसित करने की स्वतंत्रता होगी। 9 वर्षों तक संचालन एवं रख–रखाव का उत्तरदायित्व अनुबंधित संस्था के पास होने से संबंधित संस्था द्वारा कार्यों के गुणवत्ता पूर्ण क्रियान्वयन एवं संचालन एवं रख–रखाव सुनिश्चित किए जा सकेंगे।