हिंदू धर्म और सनातन शास्त्र में चैत्र पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस तिथि पर ही त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था। यही वजह है कि प्रति वर्ष चैत्र पूर्णिमा पर श्रद्धाभाव से हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन हनुमान जी की विशेष पूजा.उपासना की जाती है। ज्योतिषाचार्य एवं पंडितों के मुताबिक हनुमान जी के मंत्र का जाप जीवन के सारे बिगड़े काम को बना देते हैं। हनुमान जयंती पर विधि.विधान से अंजनी पुत्र की पूजा.अर्चना करनी चाहिए।
ग्वालियर। चैत्र पूर्णिमा यानी मंगलवार 23 अप्रैल को देशभर में हनुमान जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। क्योंकि त्रेता युग में चैत्र पूर्णिमा के दिन ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था। इस दिन हनुमान जी की विशेष पूजा.उपासना की जाती है। बलए बुद्धि और शक्ति प्रदाता हनुमान जी के शरणागत रहने वाले साधकों को सभी प्रकार के सांसारिक दुखों से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में मंगल का आगमन होता है। अगर आप भी हनुमान जी की कृपा पाना चाहते हैंए तो चैत्र पूर्णिमा के दिन विधि.विधान से हनुमान जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय हनुमान जी के 108 नामों का मंत्र जप करें। इन मंत्रों के जाप से आपके जीवन में चल रही सभी समस्याएं मिट जाएगी और सुख.समृद्धि व शांति का वास होगा। आइए जानते हैं हनुमान जी के 108 मंत्र।
हनुमान जी के 108 नाम
ॐ अक्षघ्नाय नमः
ॐ रामदूताय नमः
ॐ शाकिनीजीवहारकाय नमः
ॐ बुबुकारहतारातये नमः
ॐ गर्वपर्वतप्रमर्दनाय नमः
ॐ हेतवे नमः
ॐ अहेतवे नमः
ॐ प्रांशवे नमः
ॐ विश्वभर्त्रे नमः
ॐ जगद्गुरवे नमः
ॐ जगन्नेत्रे नमः
ॐ जगन्नाथाय नमः
ॐ जगदीशाय नमः
ॐ जनेश्वराय नमः
ॐ जगद्धिताय नमः
ॐ हरये नमः
ॐ श्रीशाय नमः
ॐ गरुडस्मयभञ्जनाय नमः
ॐ पार्थध्वजाय नमः
ॐ वायुपुत्राय नमः
ॐ अमितपुच्छाय नमः
ॐ अमितविक्रमाय नमः
ॐ ब्रह्मपुच्छाय नमः
ॐ परब्रह्मपुच्छाय नमः
ॐ रामेष्टकारकाय नमः
ॐ सुग्रीवादियुताय नमः
ॐ ज्ञानिने नमः
ॐ वानराय नमः
ॐ वानरेश्वराय नमः
ॐ कल्पस्थायिने नमः
ॐ चिरञ्जीविने नमः
ॐ तपनाय नमः
ॐ सदाशिवाय नमः
ॐ सन्नतये नमः
ॐ सद्गतये नमः
ॐ भुक्तिमुक्तिदाय नमः
ॐ कीर्तिदायकाय नमः
ॐ कीर्तये नमः
ॐ कीर्तिप्रदाय नमः
ॐ समुद्राय नमः
ॐ श्रीप्रदाय नमः
ॐ शिवाय नमः
ॐ भक्तोदयाय नमः
ॐ भक्तगम्याय नमः
ॐ भक्तभाग्यप्रदायकाय नमः
ॐ उदधिक्रमणाय नमः
ॐ देवाय नमः
ॐ संसारभयनाशनाय नमः
ॐ वार्धिबन्धनकृते नमः
ॐ विश्वजेत्रे नमः
ॐ विश्वप्रतिष्ठिताय नमः
ॐ लङ्कारये नमः
ॐ कालपुरुषाय नमः
ॐ लङ्केशगृहभञ्जनाय नमः
ॐ भूतावासाय नमः
ॐ वासुदेवाय नमः
ॐ वसवे नमः
ॐ त्रिभुवनेश्वराय नमः
ॐ श्रीरामरूपाय नमः
ॐ कृष्णाय नमः
ॐ लङ्काप्रासादभञ्जकाय नमः
ॐ कृष्णाय नमः
ॐ कृष्णस्तुताय नमः
ॐ शान्ताय नमः
ॐ शान्तिदाय नमः
ॐ विश्वपावनाय नमः
ॐ विश्वभोक्त्रे नमः
ॐ मारघ्नाय नमः
ॐ ब्रह्मचारिणे नमः
ॐ जितेन्द्रियाय नमः
ॐ ऊर्ध्वगाय नमः
ॐ लाङ्गुलिने नमः
ॐ मालिने नमः
ॐ लाङ्गूलाहतराक्षसाय नमः
ॐ समीरतनुजाय नमः
ॐ वीराय नमः
ॐ वीरताराय नमः
ॐ जयप्रदाय नमः
ॐ जगन्मङ्गलदाय नमः
ॐ पुण्याय नमः
ॐ पुण्यश्रवणकीर्तनाय नमः
ॐ पुण्यकीर्तये नमः
ॐ पुण्यगतये नमः
ॐ जगत्पावनापावनाय नमः
ॐ देवेशाय नमः
ॐ जितमाराय नमः
ॐ रामभक्तिविधायकाय नमः
ॐ ध्यात्रे नमः
ॐ ध्येयाय नमः
ॐ लयाय नमः
ॐ साक्षिणे नमः
ॐ चेतसे नमः
ॐ चैतन्यविग्रहाय नमः
ॐ ज्ञानदाय नमः
ॐ प्राणदाय नमः
ॐ प्राणाय नमः
ॐ जगत्प्राणाय नमः
ॐ समीरणाय नमः
ॐ विभीषणप्रियाय नमः
ॐ शूराय नमः
ॐ पिप्पलाश्रयसिद्धिदाय नमः
ॐ सिद्धाय नमः
ॐ सिद्धाश्रयाय नमः
ॐ कालाय नमः
ॐ महोक्षाय नमः
ॐ कालाजान्तकाय नमः
ॐ लङ्केशनिधनाय नमः
ॐ स्थायिने नमः