ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के बीच संभावित टकराव की आशंका को देखते हुए अमेरिका ने अपने प्रमुख सहयोगी देशों—ऑस्ट्रेलिया और जापान—से इस मुद्दे पर रणनीतिक चर्चा की है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एल्ब्रिज कॉल्बी ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया और जापान के रक्षा अधिकारियों से कई महत्वपूर्ण बैठकें कीं, जिनमें यह जानने का प्रयास किया गया कि संकट की स्थिति में कौन देश अमेरिका का साथ देगा।
ऑस्ट्रेलिया: “काल्पनिक सवालों पर टिप्पणी नहीं”
ऑस्ट्रेलिया की ओर से स्पष्ट किया गया है कि वह ताइवान को लेकर चीन से संभावित संघर्ष की स्थिति में पहले से कोई पक्ष नहीं लेगा। रक्षा उद्योग मंत्री पैट कॉनरोय ने बयान में कहा—
“ऐसे काल्पनिक हालातों पर सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं की जाती। किसी भी सैन्य टकराव में ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों को भेजने का निर्णय उस समय की सरकार द्वारा लिया जाएगा।”
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियां चिंता का विषय हैं। खासकर मिलिट्री बेस स्थापित करने की कोशिशें ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा के लिए चुनौती हैं। मंत्री ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया इस क्षेत्र में “सुरक्षा साझेदार” की भूमिका निभाना चाहता है।
जापान ने साधी चुप्पी
वहीं, जापान की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। अमेरिका की ओर से सहयोगियों से स्पष्ट समर्थन की अपेक्षा के बावजूद, जापानी रक्षा मंत्रालय की ओर से कोई बयान जारी नहीं किया गया है।
नाटो समिट के बाद बदलता रुख?
अमेरिकी अधिकारी कॉल्बी ने बताया कि हाल ही में हेग में आयोजित नाटो सम्मेलन के बाद कुछ यूरोपीय और एशियाई देशों में यह समझ बढ़ी है कि सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए अब सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि ट्रम्प प्रशासन की नीति के चलते कई सहयोगी देश अब अपने रक्षा खर्च में इज़ाफा कर रहे हैं, जिससे सामरिक भागीदारी मज़बूत हुई है।
ऑस्ट्रेलिया की चीन यात्रा और रणनीतिक संतुलन
इस बीच, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज छह दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर चीन पहुँचे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता चीन के साथ व्यापारिक संबंधों को मज़बूत करना है, ताइवान जैसे संवेदनशील मुद्दों पर नहीं। इस दौरान वे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, प्रधानमंत्री ली कियांग और संसद अध्यक्ष झाओ लेजी से मुलाकात करेंगे।
गौरतलब है कि अल्बनीज ने सत्ता में आने के बाद चीन के साथ बिगड़े व्यापारिक रिश्तों को सुधारने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। उन्होंने भारत, इंडोनेशिया और ASEAN देशों के साथ व्यापार बढ़ाने पर ज़ोर देते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलिया किसी एक देश पर पूरी तरह निर्भर नहीं रह सकता।