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अश्वमेघ यज्ञ से ज्यादा फल देता है अजा एकादशी का व्रत

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रवि पुष्य और सर्वार्थ सिद्धि योग में एकादशी का संयोग होने से बनेंगे सारे काम,घर में होगा सुख-समृद्धि का वास

धर्म-अध्यात्म। आज रविवार देश भर में अजा एकादशी मनाई जा रही है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु की प्रिय तिथियों में से एक मानी जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित होता हैं। पंडितों एवं ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से साधक के जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं और घर में सुख, शांति और धन की वृद्धि होती है। भाद्र मास की प्रथम एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस बार योग के संयोग से यह एकादशी खास हो गई है।
शुभ संयोगों का बना है योग
एकादशी के दिन शाम पॉंच बजकर छह मिनट तक रवि पुष्य योग :शुरू होगा जो दूसरे दिन सोमवार को प्रातः छह बजककर चार मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही शाम को पॉच बजकर छह मिनट पर सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त
आचार्य पंडित सुनील दत्त शास्त्री के मुताबिक अजा एकादशी तिथि का आंरभ नौ सितंबर की रात 09ः17 पर हुआ और इसका समापन 10 सितंबर की रात नौ बजकर 28 मिनट पर होगा। ऐसे में अजा एकादशी का व्रत 10 सितंबर को रखना उत्तम रहेगा। जबकि इस व्रत का पारण 11 सितंबर को सुबह छह बजे से सुबह साढ़े आठ बजे तक कर सकेंगे। मान्यता है कि पारण यदि मुहूर्त में किया जाए तो व्रत पूजन का पूर्ण फल मिलता हैं।

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